लखेश्वर यादव, रायपुर: छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के जैजैपुर ब्लॉक स्थित अकलसरा गांव के शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल के छात्र-छात्राओं के लिए पढ़ाई अब किसी खतरे से कम नहीं है। पास ही स्थित दो डोलोमाइट खदानों में हो रही बार-बार की भयंकर ब्लास्टिंग की वजह से स्कूल और आसपास के क्षेत्र में तनाव और डर का माहौल बना हुआ है। यह ब्लास्टिंग इतनी जोरदार होती है कि स्कूल के भवन में कंपन्न होता है और छात्र-छात्राएं पढ़ाई के दौरान भयभीत हो जाते हैं। इन ब्लास्टिंग्स के दौरान न सिर्फ छात्रों के मनोबल पर असर पड़ता है, बल्कि कई बार पत्थर के टुकड़े भी बच्चों को घायल कर चुके हैं।
धमाके की आवाज से कांप उठा छत्तीसगढ़ का ये गांव
अकलसरा गांव में दरारें: अकलसरा गांव में संचालित डोलोमाइट खदानों में अत्यधिक मात्रा में बारूद का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन खदानों से डोलोमाइट खनन के लिए अत्यधिक ब्लास्टिंग की जाती है, जिससे उसके कंपन से पूरे क्षेत्र में हलचल मच जाती है। इन ब्लास्टिंग्स के कारण स्कूल भवन की दीवारों में दरारें भी पड़ चुकी हैं और भूमि में कंपन होता है, जिससे बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। स्कूल से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित ये खदानें इतना जोरदार विस्फोट करती हैं कि पूरा क्षेत्र गूंज उठता है।
जानिए स्कूल में क्या हुआ?
शालेय भवन में कम्पन से छात्रों को भारी मानसिक तनाव हो रहा है। ब्लास्टिंग के दौरान स्कूल का ध्यान पढ़ाई से हटकर केवल धमाकों और कंपन से बचने में लग जाता है। कक्षा 12वीं की छात्रा लवली ने बताया, “जब ब्लास्टिंग होती है तो पूरा स्कूल हिलता है, और हम सभी को ऐसा लगता है जैसे भूकंप आ गया हो। बहुत तेज बदबू भी आती है, जिससे हमारी सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। साथ ही, ब्लास्टिंग के बाद पत्थर के छोटे टुकड़े बाहर खेल रहे बच्चों पर गिर जाते हैं, जिससे चोटें भी आती हैं।”
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स्कूल के छात्रों में दहसत
नितिन कुमारी केवट, एक अन्य छात्र, ने कहा, “हम पढ़ाई कर रहे होते हैं और अचानक से धमाके की तेज आवाज आती है, जिससे हम डर जाते हैं। कई बार कंपन इतना अधिक होता है कि लगता है कहीं स्कूल की दीवार ही गिर न जाए।”
कक्षा 12वीं की छात्रा लवली महिलांगे ने बताया कि जब ब्लास्टिंग होती है, तो जमीन पूरी तरह हिलने लगती है और तेज आवाज आती है। इसके साथ ही बहुत तीव्र बदबू भी आती है, जिससे छात्रों को सांस लेने में कठिनाई होती है। लवली ने बताया, “ब्लास्टिंग के बाद पत्थरों के छोटे-छोटे कण स्कूल में आ जाते हैं, जिससे डर लगता है और पढ़ाई में ध्यान नहीं लग पाता।”
अकलसरा गांव में दरारें: स्कूल के अन्य छात्रों का भी यही कहना है कि ब्लास्टिंग के दौरान उनका पूरा ध्यान पढ़ाई से हटकर केवल अपने आसपास के वातावरण पर होता है।
“पढ़ाई के दौरान बहुत तेज आवाज़ आती है, जिससे हम डरे रहते हैं। बहुत बार पत्थर हमारे पास आते हैं, जो हमें चोट भी पहुंचा सकते हैं।” -स्कूली छात्र
देखिए छात्र-छात्राओं और प्राचार्य ने क्या कहा..
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ग्रामीणों की सुरक्षा और शिक्षा पर संकट
शासकीय स्कूल के अलावा, ब्लास्टिंग का असर पूरे गांव पर भी पड़ा है। कई घरों में दरारें आ चुकी हैं, और कई बार इन दरारों की वजह से ग्रामीणों का जीवन भी खतरे में पड़ चुका है। अकलसरा के ग्रामीणों का कहना है कि जब से खदानों में ब्लास्टिंग शुरू हुई है, तब से उनकी जीवनशैली बुरी तरह प्रभावित हुई है। कई ग्रामीणों ने बताया कि उनकी दीवारों में अब तक कई दरारें आ चुकी हैं, और डर रहता है कि कहीं बड़ा हादसा न हो जाए।
ग्रामवासियों का कहना है कि खदानों से होने वाली ब्लास्टिंग के कारण उनके घरों में भी दरारें पड़ गई हैं, और स्कूल भवन भी कमजोर हो चुका है। कई बार ग्रामीणों ने इस मुद्दे पर स्कूल के प्राचार्य और गांव के सरपंच से शिकायत की, लेकिन किसी प्रकार की कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इसका परिणाम यह है कि स्कूली छात्र-छात्राएं और ग्रामीण दोनों ही डर के साए में जीवन जीने को मजबूर हैं, क्योंकि गांव में और कोई विकल्प नहीं है।
गांव के निवासी, मुकेश यादव ने कहा, “हमने कई बार प्रशासन को सूचित किया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब तक न तो खनन कंपनी और न ही प्रशासन ने इस पर ध्यान दिया है। हम लोग बहुत परेशान हैं। हमारे बच्चों की पढ़ाई और घरों की सुरक्षा दोनों ही खतरे में हैं।”
स्कूल प्राचार्य का बयान
स्कूल के प्राचार्य ने बताया, “हमने कई बार प्रशासन से शिकायत की है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। बच्चों की सुरक्षा और उनके मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति चिंताजनक है। स्कूल में पढ़ाई जारी रखने के लिए हमें प्रशासन की सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे।”
स्थानीय प्रशासन की लापरवाही
ग्रामीणों और स्कूल के अधिकारियों का आरोप है कि प्रशासन ने इस समस्या के बारे में कई बार सूचित किया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार की तत्परता या कार्रवाई न होने से गांववाले बहुत परेशान हैं। अकलसरा गांव के बच्चे अब अपनी पढ़ाई को लेकर गंभीर चिंता में हैं, क्योंकि अगर यही स्थिति रही तो उन्हें अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ सकती है। इसके अलावा, यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो ग्रामीणों की जान भी खतरे में पड़ सकती है।
क्या प्रशासन जागेगा?
इस मामले में सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन और खनन कंपनियां बच्चों और ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे? अगर जल्दी ही कोई कार्रवाई नहीं की जाती, तो न केवल बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी, बल्कि यह खनन कंपनियों के लिए भी एक बड़ी जिम्मेदारी बन सकती है, जिनके कारण लोग खतरे में हैं।
अकलसरा गांव में दरारें: ब्लास्टिंग से होने वाले नुकसान को लेकर ग्रामीणों और स्कूल के छात्रों में असुरक्षा की भावना व्याप्त है। उनके लिए यह सवाल है कि कब तक वे इस डर के साए में रहेंगे और कब तक शासन-प्रशासन इस मामले पर ध्यान देगा। ब्लास्टिंग के दौरान होने वाली खतरनाक घटनाओं और इसके प्रभावों से छात्रों और ग्रामीणों को निजात दिलाने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
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