CG News : डिवाइडर नहीं, डस्टबिन कहिए जनाब; अनोखा उपाय अपशिष्ट प्रबंधन का देखिए भाटापारा का क्या है हाल

CG News : डिवाइडर नहीं, डस्टबिन कहिए जनाब; अनोखा उपाय अपशिष्ट प्रबंधन का देखिए भाटापारा का क्या है हाल

राजकुमार मल / भाटापारा : डिवाइडर नहीं, डस्टबिन कहिए। गौरव पथ पर बना डिवाइडर फिलहाल इसी के काम आ रहा है। घरों का वेस्ट इसी में फेंका जा रहा है, तो संस्थानें भी इसका उपयोग डस्टबिन के रूप में कर रहीं हैं।

गंदा नंबर वन। इसी खिताब से नवाजा जाना चाहिए शहर को। बरसों बाद आई याद के बाद, अतिक्रमण मुक्त भाटापारा अभियान चला रहे स्थानीय प्रशासन कार्यालय के ठीक सामने से गुजरने वाले गौरव पथ के डिवाइडर, शेष शहर की स्थिति की मिसाल दे रहे हैं कि सफाई व्यवस्था कितनी चुस्त है ?

दशक बीता, सुध नहीं

दूसरा दशक चल रहा है गौरव पथ को बने लेकिन पालिका प्रबंधन ने कभी डिवाइडर पर नजर नहीं डाली होगी, ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि घरों और संस्थानों का कचरा प्रबंधन इसमें ही किया जा रहा है। होटल, गुमटियों और पान ठेलों से निकलने वाला वेस्ट भी इसमें ही डाला जाता है।

खूब यह भी

शाम ढलते ही अंधेरे कोने में जुट जाते हैं ऐसे लोग, जिनके पास होती है शराब से भरी बोतल और डिस्पोजल गिलास। उपयोग के बाद यह दोनों सामग्री भी डिवाइडर के हवाले कर दी जाती है। शाम को लगने वाले स्ट्रीट फूड काउंटर के अवशेष के निपटान के लिए भी मुफीद ठिकाना है, डिवाइडर।

हरियाली गायब

गौरव पथ निर्माण के दौरान 210 हरे-भरे वृक्ष काटे गए थे। एवज में लगाए जाने थे 2100 पौधे। कहां लगे ? जैसे सवालों का उठाया जाना मना है। ऐसी स्थिति में डिवाइडर में पौधरोपण की बात करना बेमानी होगा क्योंकि कनेर के सिवाय दूसरी प्रजातियां नहीं मिलेंगीं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जिम्मेदारी की अनदेखी की जा रही है।

 

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