CG Crime: घरेलू विवाद में बहू को जलाया जिंदा, 5 माह की बच्ची भी चपेट में, कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद

घरेलू विवाद में बहू को जिंदा जलाया (Chhattisgarh Crime News)
घरेलू विवाद में बहू को जिंदा जलाया (Chhattisgarh Crime News)

छत्तीसगढ़ में घरेलू विवाद में आरोपी जेठ और देवर ने 5 माह की मासूम बच्ची के साथ बहू को जिंदा जलाने की कोशिश की। कोर्ट ने दोनों को आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई। पूरी घटना की जानकारी।

बलौदाबाजार (छत्तीसगढ़): बलौदाबाजार जिले के भाटापारा क्षेत्र के अपर सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार जायसवाल ने एक सनसनीखेज हत्या मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी जेठ और देवर को आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह मामला सुहेला थाना क्षेत्र के करेली गांव में 12 जून 2020 को घटित हुई जघन्य घटना से जुड़ा हुआ है, जिसमें एक महिला किरण कोसले और उसकी 5 माह की मासूम बेटी को जलाकर हत्या करने की कोशिश की गई थी।

घरेलू विवाद में बहू को जलाया जिंदा

12 जून 2020 को, पीड़िता किरण कोसले अपने पति तिलक और दो बच्चों के साथ अपने ससुराल से अलग करेली गांव स्थित अपने घर में रह रही थी। उस दिन, जब उसका पति तिलक कुछ सामान खरीदने के लिए किराना दुकान गया हुआ था, तब घर में केवल किरण और उसकी पांच माह की बेटी थी। इसी दौरान, उसके जेठ धनीराम और देवर दीपक ने घर में घुसकर उसके साथ पारिवारिक विवाद के चलते उसे आग के हवाले कर दिया। आरोप है कि दोनों ने किरण पर मिट्टी तेल छिड़ककर आग लगा दी। इस घटना में किरण की मासूम बेटी भी जलते हुए घर में फंस गई और आग की चपेट में आ गई।

घटना के बाद, दोनों आरोपी मौके से फरार हो गए। जब किरण के पति ने दुकान से लौटकर जलते हुए घर को देखा, तो उसने तत्परता से पानी डालकर आग बुझाई और अपनी पत्नी तथा बच्ची को सुहेला अस्पताल पहुंचाया।

पुलिस और अस्पताल की कार्रवाई

अस्पताल में पहुंचने पर, सुहेला अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी ने पीड़िता और बच्ची का वीडियो लेकर सुहेला थाना में भेजा। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अस्पताल में पीड़िता का बयान लिया और मामला दर्ज किया। इलाज के दौरान किरण को गंभीर जलन की स्थिति में राजधानी रायपुर स्थित डी.के.एस अस्पताल रेफर किया गया, जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। इस घटना के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और अपराध दर्ज कर लिया।

“घरेलू विवाद के कारण हत्या: पुलिस ने दो आरोपियों को किया गिरफ्तार”

पुलिस ने मामले में दोनों आरोपियों, धनीराम कौशल और दीपक कौशल को गिरफ्तार किया। आरोपियों ने अपनी भूमिका स्वीकार की और जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि पारिवारिक विवाद के कारण ही उन्होंने इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया था। पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302/34 (हत्या और सामूहिक अपराध) के तहत मामला दर्ज किया।

कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद

मामले की सुनवाई के बाद, न्यायालय ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर धनीराम और दीपक को दोषी करार दिया। न्यायाधीश सतीश कुमार जायसवाल ने दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उन पर एक हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। न्यायालय ने यह फैसला सुनाते हुए यह माना कि यह अपराध बहुत ही गंभीर था, जिसमें एक निर्दोष महिला और उसकी मासूम बेटी को जलाकर मारने की कोशिश की गई थी।

पीड़िता के परिवार की स्थिति

इस कृत्य से पीड़िता का परिवार पूरी तरह से आहत हुआ है। किरण कोसले के पति तिलक ने पुलिस से न्याय की उम्मीद जताई थी और अब न्यायालय के फैसले से उन्हें कुछ राहत मिली है। हालांकि, उनके जीवन में यह त्रासदी उनके दिलों में एक गहरी छाप छोड़ गई है, क्योंकि उन्होंने अपनी पत्नी और बेटी को न केवल खो दिया, बल्कि एक परिवार के सदस्यों से इस तरह की हिंसा की उम्मीद नहीं की थी।

यह मामला घरेलू विवादों की जटिलताओं को उजागर करता है और यह साबित करता है कि परिवार में उत्पन्न होने वाले तनाव और असहमति को हल करने के लिए संवाद और समझदारी की आवश्यकता है। किसी भी प्रकार की हिंसा को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। न्यायालय का यह फैसला समाज में अपराध के खिलाफ सख्त संदेश भेजता है, जिससे ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।

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