सीमेंट संयंत्र बने बलौदा बाजार में जल संकट की वजह! हजारों लीटर पानी खदानों में कैद, गांवों में बूंद-बूंद को तरसे लोग

सीमेंट संयंत्र बने बलौदा बाजार में जल संकट की वजह! हजारों लीटर पानी खदानों में कैद, गांवों में बूंद-बूंद को तरसे लोग (Chhattisgarh Talk)
सीमेंट संयंत्र बने बलौदा बाजार में जल संकट की वजह! हजारों लीटर पानी खदानों में कैद, गांवों में बूंद-बूंद को तरसे लोग (Chhattisgarh Talk)

बलौदा बाजार जिले में सीमेंट कंपनियों की अंधाधुंध खुदाई और ब्लास्टिंग से जल संकट गहराया! गांवों के तालाब, कुएं, हैंडपंप और बोरवेल सूख रहे हैं, जबकि संयंत्र खदानों में हजारों लीटर पानी कैद कर रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर!

बलौदा बाजार जल संकट, गांवों में सूखते जल स्रोत, हजारों लीटर पानी खदानों में कैद

बालगोविंद मार्कण्डेय, बलौदा बाजार: छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में कुल 7 सीमेंट कंपनियों के दर्जनों से ज्यादा यूनिट और खदानें स्थित हैं, जहां बड़े पैमाने पर खनन और ब्लास्टिंग की जा रही है। इन सीमेंट संयंत्रों की खुदाई से भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है, जिससे ग्रामीणों के तालाब, कुएं, हैंडपंप और बोरवेल सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं। दूसरी ओर, सीमेंट संयंत्रों के गहरे खदानों में हजारों लीटर पानी जमा हो रहा है, जिसका उपयोग संयंत्रों द्वारा अपने उद्योगों के लिए किया जा रहा है, जबकि आसपास बसे गांवों में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं।

बलौदा बाजार जल संकट कैसे और क्यों बढ़ा जल संकट?

1. खदानों की अंधाधुंध खुदाई और गहरी ब्लास्टिंग

  • बलौदा बाजार जिले में 7 बड़ी सीमेंट कंपनियों ने दर्जनों खदानें खोद रखी हैं, जिनमें भारी ब्लास्टिंग से चट्टानों में गहरी दरारें आ गई हैं।
  • इन दरारों के कारण गांवों के भूजल स्रोत खदानों में रिस रहे हैं, जिससे गांवों में तालाब, हैंडपंप, बोरवेल और कुएं सूख रहे हैं।
  • सालों से हो रहे अनियंत्रित खनन और खदानों के विस्तार से भूजल स्तर 500-700 फीट तक नीचे चला गया है, जिससे नए बोरवेल में भी पानी मिलना मुश्किल हो गया है।

2. हजारों लीटर पानी का अवैध दोहन

  • सीमेंट संयंत्रों ने अपने खदानों में हजारों लीटर पानी स्टोर कर लिया है, जिसका उपयोग वे मशीनों को ठंडा करने और अन्य उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं।
  • संयंत्रों तक बड़े-बड़े पाइपों के जरिए पानी पहुंचाया जा रहा है, जबकि गांवों में पेयजल और सिंचाई के लिए पानी नहीं बचा।
  • नियमों के तहत संयंत्रों को जल संरक्षण करना चाहिए, लेकिन हकीकत में वे पानी को अपने लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं और ग्रामीणों को इससे कोई फायदा नहीं मिल रहा।

बलौदा बाजार में जल संकट: बूंद-बूंद को तरसे लोग

सीमेंट संयंत्रों के कारण बलौदा बाजार जिले के दर्जनों गांवों में जल संकट खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।

  • गांवों में लगे ट्यूबवेल और हैंडपंपों से पानी आना बंद हो गया है।
  • तालाबों का जलस्तर तेजी से गिर रहा है, जिससे उनका पानी गंदा और बदबूदार हो गया है।
  • पशु-पक्षी भी पानी की तलाश में भटकने को मजबूर हैं, जिससे वन्यजीवों और ग्रामीण पशुओं को भी संकट झेलना पड़ रहा है।
  • रबी फसल की खेती पर खतरा – पानी की भारी कमी के कारण किसान रबी फसल उगाने से पीछे हटने लगे हैं, जबकि जो फसल लगी हुई है, वह भी सूखने की कगार पर है।

जल संकट से जूझता बलौदा बाजार: 26 में से 20 जलाशयों में पानी नहीं! ग्रामीण इलाकों में पानी के लिए हाहाकार

बलौदा बाजार के 26 में से 20 जलाशयों में पानी नहीं, ग्रामीणों में बढ़ी चिंता

गर्मी का मौसम अभी पूरी तरह शुरू भी नहीं हुआ है और बलौदा बाजार जिले में जल संकट गहराने लगा है। जिले के जल संसाधन निर्माण उपसंभाग क्षेत्र में 26 जलाशयों में से केवल 6 जलाशयों में ही पानी बचा है, जबकि बाकी 20 जलाशय सूखने की कगार पर हैं। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है क्योंकि अभी गर्मी का सबसे कठिन दौर – अप्रैल, मई और जून – बाकी है।

बलौदा बाजार के जलाशयों की स्थिति पर नजर डालें तो हालात बेहद खराब नजर आते हैं। जिले के सबसे बड़े जलाशयों में से घुघवा जलाशय में 30% जलभराव बचा है, बालसमुंद में 20%, खैरादतान में 24%, कारी में 10% छुईहा जलाशय, और बलौदा बाजार जलाशय में मात्र 17% पानी बचा है। शेष 20 जलाशयों में तो बस निस्तारी लायक थोड़ा बहुत पानी बचा है, वह भी कब तक चलेगा, कहना मुश्किल है।

सीमेंट संयंत्रों की खोखली घोषणाएं, पर्यावरण संरक्षण के दावे फेल

संयंत्र स्थापित करने से पहले कंपनियां पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण और ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं देने के बड़े-बड़े वादे करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है।

  • संयंत्रों की ओर से दीवारों पर पर्यावरण संरक्षण के नारे लिखे जाते हैं, लेकिन हकीकत में पानी की एक-एक बूंद के लिए ग्रामीणों को संघर्ष करना पड़ रहा है।
  • संयंत्रों की वजह से जिले का तापमान भी बढ़ रहा है, जिससे जल स्रोत तेजी से सूखते जा रहे हैं।

क्या कहते हैं खनिज अधिकारी?

जब इस मामले को लेकर जिला खनिज अधिकारी के.के. बंजारे से बात की गई, तो उन्होंने जिम्मेदारी लेने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि “यह विभाग हमारे अंतर्गत नहीं आता, हमें इसकी जानकारी नहीं है।” प्रशासन की इस उदासीनता के कारण ग्रामीणों में भारी रोष है।

अब सवाल यह उठता है कि…

  1. क्या सरकार इस जल संकट को हल करने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी?
  2. क्या सीमेंट संयंत्र अपने खदानों में जमा पानी को ग्रामीणों के लिए उपलब्ध कराएंगे?
  3. क्या प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस गंभीर समस्या का समाधान निकालने के लिए आगे आएंगे?

अगर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो बलौदा बाजार जल्द ही एक बंजर और सूखा प्रभावित क्षेत्र में तब्दील हो सकता है। ग्रामीणों का जीवन और आजीविका दोनों ही दांव पर हैं, लेकिन प्रशासन और कंपनियों की उदासीनता जारी है।

समाधान क्या हो सकता है?

  • सीमेंट संयंत्रों द्वारा जल संरक्षण और पुनर्भरण (Water Recharge) के उपाय किए जाएं।
  • गांवों में जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग किया जाए।
  • सीमेंट संयंत्रों को उनके खदानों का जल प्रभावित गांवों के लिए उपलब्ध कराने के निर्देश दिए जाएं।
  • सरकार को ठोस जल संरक्षण नीतियों को लागू करना चाहिए ताकि भविष्य में जल संकट को रोका जा सके।

अगर इस गंभीर समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में बलौदा बाजार और आसपास के गांवों में जीवनयापन असंभव हो सकता है। अब समय आ गया है कि सरकार, प्रशासन और सीमेंट कंपनियां अपनी जिम्मेदारी निभाएं और जल संकट का स्थायी समाधान निकालें।

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