एक ऐसा मार्ग जिस पर शाम होते ही दो पहिया वाहन तथा छोटे चार पहिया वाहन चालक गुजरने में भी डरते हैं कि कहीं अंधेरे की वजह से वह किसी तेज रफ्तार हैवी वहां के चपेट में ना आ जाएं तो यह मार्ग निश्चित रूप से बलौदा बाजार का बायपास मार्ग कहा जाएगा जो शाम होते ही दहशत का पर्याय बन चुका है।
बलौदा बाजार का बायपास मार्ग, जो जिले के महत्वपूर्ण यातायात मार्गों में शामिल है, अब मौत के रास्ते के रूप में तब्दील हो चुका है। जिले में हो रही सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या, खासकर शाम के समय, लोगों के लिए चिंता का कारण बन चुकी है। जहां एक ओर इस मार्ग से गुजरने वाले छोटे वाहन और दो पहिया वाहन चालक अंधेरे और तेज रफ्तार वाहनों से डरते हैं, वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण यह मार्ग लगातार खतरनाक साबित हो रहा है।
बायपास मार्ग और उसके डेंजर पॉइंट्स
जिला मुख्यालय से बाहर निकलते ही बलौदा बाजार का बायपास मार्ग एक खतरे की घंटी की तरह महसूस होने लगता है। खासकर भाटापारा मोड, रायपुर मार्ग और लवन मार्ग पर स्थित तिराहे और चौराहे जो बायपास सड़क से जुड़े हुए हैं, दुर्घटनाओं के प्रमुख स्थल बन चुके हैं। इन स्थानों पर न तो पर्याप्त रोशनी है, न ही ट्रैफिक सिग्नल, और न ही किसी प्रकार का सुरक्षात्मक उपाय लागू किया गया है। हैवी वाहनों की तेज रफ्तार और सड़क की खराब स्थिति इन स्थानों को खतरनाक बनाती है। इन क्षेत्रों में छोटी सी चूक बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है, जिसका खामियाजा स्थानीय निवासियों और सड़क पर चलने वाले लोगों को भुगतना पड़ता है।
रात होते ही बढ़ता खतरा
बलौदा बाजार से रायपुर और लवन मार्ग पर ग्राम संकरी और ग्राम पनगांव के पास स्थित तिराहों और चौराहों पर शाम होते ही अंधेरा हो जाता है। इस अंधेरे के कारण वाहनों की गति का अनुमान नहीं लगाया जा सकता, जिससे छोटे वाहन चालक खासकर दो पहिया वाहन चालक किसी बड़े हादसे का शिकार हो सकते हैं। पिछले तीन वर्षों में इस बायपास मार्ग पर दर्जन भर से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कई लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद, इन खतरनाक स्थानों पर सुरक्षा उपायों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
शाम होते ही मौत का रास्ता
स्कूल-कॉलेज गोइंग स्टूडेंट्स, इंडस्ट्रियल एरिया के मजदूर, नौकरीपेशा लोगों समेत सैकड़ों ग्रामीण आने-जाने के लिए बाईपास का ही इस्तेमाल करते हैं। इन दिनों ठंड में सूरज जल्दी ढल रहा है। शाम 5 बजे के बाद से ही अंधेरा छाने लगता है। ऐसे में बाईपास में एक भी लाइट का नहीं होना इन सैकड़ों लोगों के जी का जंजाल हो गया है। बड़ी गाड़ियों की आंखें चौंधिया देने वाली लाइट से जहां गड्ढे नजर नहीं आ रहे और लोग गिरकर चोटिल हो रहे हैं, तो जगह- जगह ट्रकों की अवैध पार्किंग भी बड़ी समस्या बन गई है। किसी बड़ी गाड़ी को ओवरटेक करते वक्त अचानक आधी सड़क घेरे ट्रक या हाइवा नजर आ जाए तो बाइक पर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि बीते सालों में दर्जनों लोग खड़ी गाड़ियों से टकराकर दर्दनाक मौत के शिकार हुए। प्रशासन को समझना होगा कि लोगों के लिए सड़क जागरूकता जितनी जरूरी है, संबंधित विभागों के लिए सड़क सुधार भी उतना ही जरूरी है।
प्रशासन की पूर्व पहल और उसकी विफलता
बलौदा बाजार के पूर्व जिलाधीश रजत बंसल के कार्यकाल में इन डेंजर पॉइंट्स पर हाई मास्क लाइट्स और ट्रैफिक सिग्नल लगाने की योजना बनाई गई थी। इसके तहत कुकुरदी, पनगांव और संकरी बाईपास मोड़ पर इन सुरक्षा उपायों को लागू करने का प्रयास किया गया था, ताकि इन स्थानों पर दुर्घटनाओं की संख्या को कम किया जा सके। लेकिन जैसे ही जिलाधीश का स्थानांतरण हुआ, यह योजना फाइलों में ही दबकर रह गई और आज तक इन स्थानों पर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। यही वजह है कि अब यह बायपास मार्ग गांववासियों के लिए जीवन के लिए खतरे की घड़ी बन चुका है।
स्थानीय लोगों की चिंता और प्रशासन से अपेक्षाएं
बलौदा बाजार के आस-पास रहने वाले ग्रामीण और यात्री, जो इस बायपास मार्ग से गुजरते हैं, हमेशा दहशत में रहते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन को इन खतरनाक बिंदुओं पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही जिला प्रशासन इन स्थलों पर पर्याप्त लाइटिंग, ट्रैफिक सिग्नल और अन्य सुरक्षा उपायों को लागू करेगा ताकि इन बाईपास मार्गों पर होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आ सके।
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शाम होते ही अंधेरा रहता है
बलौदा बाजार से रायपुर मार्ग पर ग्राम संकरी के समीप तथा बलौदा बाजार से लवन मार्ग पर ग्राम पनगांव के समीप तिराहे तथा चौराहों पर शाम होते ही पूरी तरह अंधेरा रहता है जिसकी वजह से तीनों तथा चारों ओर से आने वाले वाहनों की रफ्तार का अंदाजा ही नहीं होता है जो इस मार्ग पर चलने वाले छोटे वाहनों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। एक आंकड़ों के अनुसार बीते 3 वर्षों में बायपास मार्ग पर एक दर्जन से अधिक सड़क दुर्घटनाओं में दर्जन भर से अधिक लोगों की दर्दनाक मृत्यु हो चुकी है बावजूद इसके इन तिराहों तथा चौराहों पर सुरक्षा उपाय को आज तक नजरअंदाज किया जा रहा है जो कि प्रशासन की बड़ी लापरवाही है।
यहां तक कि ग्रामीणों ने सुझाव दिया है कि इन चौराहों पर पुलिस की मौजूदगी बढ़ाई जाए और ड्राइवरों को जागरूक करने के लिए लगातार अभियान चलाए जाएं ताकि दुर्घटनाओं को कम किया जा सके और लोगों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।