बलौदाबाजार कोर्ट का बड़ा फैसला: रिसदा में जमीन विवाद को लेकर बेटे ने पिता की हत्या की। बलौदाबाजार कोर्ट ने आरोपी जितेंद्र वर्मा को उम्रकैद और ₹10,000 जुर्माने की सजा सुनाई।
बलौदाबाजार | “पापा जमीन बेच दो… मेरा कर्ज चुकाना है!” ये बात बेटे ने कई बार कही। “नहीं बेटा, अब और नहीं!” ये जवाब पिता ने हर बार दिया। और फिर… एक दिन सुबह बाड़ी के पास खून से लथपथ मिली चिंतामणि वर्मा की लाश। ये कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि बलौदाबाजार जिले के ग्राम रिसदा की वो खौफनाक हकीकत है, जिसने पूरे गांव को दहला दिया।
बलौदाबाजार जिले के ग्राम रिसदा में मार्च 2024 में हुई इस सनसनीखेज हत्या का फैसला अब कोर्ट ने सुना दिया है। सत्र न्यायालय बलौदाबाजार ने आरोपी बेटे जितेंद्र वर्मा को अपने ही पिता की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने उसे ₹10,000 जुर्माना भी भरने का आदेश दिया है, नहीं भरने की स्थिति में 6 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
बलौदाबाजार कोर्ट फैसला: कर्ज, कलह और कलंक की दास्तां
आरोपी जितेंद्र वर्मा, गांव की सोसायटी में सहायक व्यवस्थापक था। लेकिन ₹13 लाख की गड़बड़ी सामने आने पर उसे बर्खास्त कर दिया गया। शराब का लती, लोगों से कर्ज लिया हुआ, और समाज में शर्मसार – यही उसकी जिंदगी थी।
पिता चिंतामणि वर्मा ने बेटे को बचाने के लिए अपनी जमीन 24 लाख में बेच दी, ताकि बेटा बच जाए, समाज में सिर उठा सके। लेकिन जितेंद्र का कर्ज अभी बाकी था। उसने फिर जमीन बेचने की मांग की, और जब पिता ने इंकार किया – तो विवाद बढ़ता गया।
बलौदाबाजार कोर्ट फैसला: हत्या की रात, बर्बरता की हद
दिनांक 15 मार्च 2024 की रात आरोपी ने शराब पी रखी थी। वह घर पहुंचा और पिता से फिर पैसों की मांग करने लगा। जब बात नहीं बनी, तो गाली-गलौज और मारपीट की। रात में सब सो गए।
सुबह चिंतामणि वर्मा बाड़ी में बने शौचालय के लिए गए, लेकिन लौटे नहीं।
जब पत्नी कुमारी बाई वहां पहुंचीं, तो देखा – बेटा अपने पिता के शव को घसीट रहा है, गले से खून बह रहा है और हाथ में टाइल्स का पत्थर था।
बेटे ने मां को धमकाया – “किसी को बताया तो ठीक नहीं होगा।” और फिर भाग निकला।
सिटी कोतवाली पुलिस की बारीकी से विवेचना
इस पूरे प्रकरण में थाना प्रभारी निरीक्षक अजय झा के नेतृत्व में पुलिस टीम ने तेजी से जांच की। आरोपी को तुरंत गिरफ्तार किया गया।
जांच में मिले सबूत, आरोपी के मेमोरेंडम कथन, घटनास्थल से बरामद टाइल्स, मां की गवाही, और अन्य 16 साक्षियों के बयान – सभी ने केस को मज़बूत किया।
कुमारी बाई की सूचना पर थाना सिटी कोतवाली बलौदाबाजार में हत्या की FIR दर्ज हुई। पुलिस ने मौके से खून लगे पत्थर, कपड़े, और अन्य सबूत जब्त किए।जितेंद्र को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। लोक अभियोजक थानेश्वर वर्मा ने केस की मजबूत पैरवी की। 16 गवाहों के बयान, आरोपी का कबूलनामा और फॉरेंसिक साक्ष्य अदालत में निर्णायक साबित हुए। -अजय झा, थाना प्रभारी, सिटी कोतवाली बलौदाबाजार
अभियोजन की पैरवी और कोर्ट का फैसला
सरकारी वकील थानेश्वर वर्मा, लोक अभियोजक बलौदाबाजार ने बताया:
“मामले में कुल 16 गवाहों के बयान, आरोपी का मेमोरेंडम, घटनास्थल से जब्ती, और फॉरेंसिक साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत किए गए। आरोपी के अपराध को गवाहों ने प्रमाणित किया और अंतिम बहस में हमने अपराध की गंभीरता को रेखांकित किया।”
सभी तथ्यों को परखने के बाद, माननीय न्यायालय ने आरोपी को दोषसिद्ध मानते हुए सख्त सजा सुनाई।
कोर्ट में क्या हुआ?
सभी साक्ष्य और तर्कों को सुनने के बाद सत्र न्यायाधीश अब्दुल जाहिद कुरैशी की अदालत ने आरोपी को दोषसिद्ध पाया और कहा:
“यह कृत्य न केवल जघन्य है, बल्कि पारिवारिक विश्वास की हत्या है। आरोपी बेटे जितेंद्र वर्मा को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास एवं ₹10,000 का अर्थदंड और भुगतान न करने पर 6 माह का अतिरिक्त कठोर कारावास दिया जाता है।”
फैसला जो सबक बन गया
24 जून 2025 को सत्र न्यायाधीश अब्दुल जाहिद कुरैशी की अदालत ने यह फैसला सुनाया:
“बेटे जितेंद्र वर्मा को भा.दं.वि. की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास की सजा दी जाती है। वह ₹10,000 अर्थदंड भी देगा, अन्यथा 6 माह की अतिरिक्त सजा भुगतेगा।”
मां की आंखों में आंसू, गांव में सन्नाटा
फैसले के बाद गांव में सन्नाटा पसरा है। जिस बेटे के लिए पिता ने जमीन बेच दी, वही बेटा उनका काल बन गया। मां कुमारी बाई की आंखों में अब भी बेटे के लिए ममता है, लेकिन मन में असहनीय पीड़ा भी – “जो अपने बाप का नहीं हुआ, वो किसी का नहीं हो सकता…”
फैसले की मुख्य बातें?
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घटना: ग्राम रिसदा, 15 मार्च 2024
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मृतक: चिंतामणि वर्मा (पिता)
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आरोपी: जितेंद्र वर्मा (पुत्र, उम्र 44 वर्ष)
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मोटिव: जमीन बेचने को लेकर विवाद
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धारा: 302 भादंवि
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सजा: आजीवन कारावास + ₹10,000 अर्थदंड
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जज: सत्र न्यायाधीश अब्दुल जाहिद कुरैशी
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अभियोजक: थानेश्वर वर्मा, लोक अभियोजक बलौदाबाजार
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जांच अधिकारी: निरीक्षक अजय झा, थाना प्रभारी सिटी कोतवाली
न्याय मिला, लेकिन परिवार टूटा…
यह केस केवल कानून की जीत नहीं, परिवार के एक दर्दनाक टूटने की कहानी भी है। जिस बेटे को उबारने के लिए एक पिता ने सबकुछ दांव पर लगा दिया, वही बेटा काल बन गया। कोर्ट का यह फैसला समाज के लिए एक चेतावनी है — जब लालच, नशा और संवेदनहीनता बढ़े, तो रिश्ते भी खून से रंगे जाते हैं।
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