बेमेतरा जमीन घोटाला: राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के OSD दुर्गेश वर्मा पर ट्रस्ट की भूमि के अवैध हस्तांतरण के आरोप

बेमेतरा जमीन घोटाला: राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा टंकराम वर्मा के OSD दुर्गेश वर्मा पर गंभीर आरोप (Bemetara land scam Chhattisgarh Talk)
बेमेतरा जमीन घोटाला: राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा टंकराम वर्मा के OSD दुर्गेश वर्मा पर गंभीर आरोप (Bemetara land scam Chhattisgarh Talk)

बेमेतरा जमीन घोटाला: श्री राम मंदिर ट्रस्ट की भूमि का अवैध हस्तांतरण मामले में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के OSD दुर्गेश वर्मा पर गंभीर आरोप। जानें पूरी जांच रिपोर्ट, प्रशासनिक गड़बड़ी और राजनीतिक हलचल पर विस्तार से..

रायपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में एक गंभीर विवाद सामने आया है, जिसमें श्री राम मंदिर ट्रस्ट की भूमि के अवैध तबादले के आरोप लगे हैं। यह मामला अब राजनीतिक और कानूनी हलकों में चर्चा का विषय बन चुका है, खासकर तब जब यह खुलासा हुआ कि तत्कालीन उपविभागीय अधिकारी (एसडीएम) दुर्गेश वर्मा, जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के OSD (विशेष सचिव) हैं, पर इस भूमि के अवैध हस्तांतरण का आरोप लगा है।

कलेक्टर का आदेश और लोक न्यास अधिनियम का उल्लंघन

श्री राम मंदिर ट्रस्ट की भूमि का विवाद 2020 में शुरू हुआ, जब बेमेतरा के कलेक्टर ने 4 नवंबर 2020 को एक स्पष्ट आदेश जारी किया। इस आदेश में कलेक्टर ने कहा था कि श्री राम मंदिर ट्रस्ट की भूमि लोक न्यास की भूमि है और इसे लोक न्यास अधिनियम, 1963 के तहत निजी व्यक्तियों के नाम पर हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। कलेक्टर का यह आदेश एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज था, जो ट्रस्ट की भूमि के संरक्षण की आवश्यकता को स्पष्ट करता था।

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बेमेतरा जमीन घोटाला: हालांकि, इस आदेश के बावजूद, तत्कालीन एसडीएम दुर्गेश वर्मा ने 3 सितंबर 2021 को एक आदेश पारित किया, जिसमें ट्रस्ट की भूमि को एक निजी व्यक्ति के नाम पर हस्तांतरित करने का आदेश दिया गया। यह आदेश न केवल कलेक्टर के आदेश का उल्लंघन था, बल्कि लोक न्यास अधिनियम के भी खिलाफ था। एसडीएम वर्मा ने ग्राम सिंधौरी, खसरा नंबर 508 पर स्थित श्री राम मंदिर ट्रस्ट की भूमि को सुमित कौर सलूजा नामक आवेदक के नाम पर तबादला और पंजीयन करने का आदेश दिया, जो कि पूरी तरह से कानूनी दृष्टि से गलत था।

जांच में खुलासा: जानबूझकर की गई प्रशासनिक गड़बड़ी

इस मामले का खुलासा तब हुआ जब श्री राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों ने 2023 में इस भूमि के अवैध तबादले की जानकारी प्राप्त की और इसकी शिकायत की। कलेक्टर बेमेतरा ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए 17 अक्टूबर 2023 को एक जांच समिति का गठन किया, जो इस विवाद की जांच कर रही थी। जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि एसडीएम दुर्गेश वर्मा द्वारा 3 सितंबर 2021 को पारित आदेश में कई विधिक त्रुटियां थीं।

बेमेतरा जमीन घोटाला: रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कलेक्टर ने पहले ही 4 नवंबर 2020 को ट्रस्ट की भूमि के हस्तांतरण को खारिज कर दिया था, और आवेदकों को सिविल न्यायालय में वाद दायर करने के लिए कहा था। इसके बावजूद, एसडीएम वर्मा ने आदेश जारी किया, जो न केवल गलत था, बल्कि उसमें जानबूझकर विधिक भूल की गई थी। इस पर प्रशासनिक अधिकारियों ने भी माना कि यह पूरी प्रक्रिया गलत थी और इसमें प्रशासनिक गड़बड़ियां साफ तौर पर दिखाई देती हैं।

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राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के OSD दुर्गेश वर्मा पर सवाल

जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद बेमेतरा जिले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि यह पूरा मामला प्रशासनिक कुप्रबंधन और कानूनी धांधली का उदाहरण है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस मामले में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के OSD के रूप में कार्यरत दुर्गेश वर्मा की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठते हैं, क्योंकि वह एक उच्च पदस्थ अधिकारी हैं और यह मामला उनके करीबी संबंधों से जुड़ा हुआ हो सकता है।

बेमेतरा जमीन घोटाला: यह मामला स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली और सरकारी संपत्ति की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाता है। राजनीतिक हलकों में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इस घोटाले में कोई प्रशासनिक पक्षपाती दृष्टिकोण तो नहीं था।

वहीं, प्रशासनिक अधिकारी भी इस मामले की निष्पक्ष जांच की बात कर रहे हैं। कलेक्टर बेमेतरा ने जांच की प्रक्रिया को तेज कर दिया है और शीघ्र निष्कर्ष पर पहुंचने का आश्वासन दिया है।

राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के OSD दुर्गेश वर्मा पर सवाल

जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद बेमेतरा जिले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि यह पूरा मामला प्रशासनिक कुप्रबंधन और कानूनी धांधली का उदाहरण है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस मामले में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के OSD के रूप में कार्यरत दुर्गेश वर्मा की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठते हैं, क्योंकि वह एक उच्च पदस्थ अधिकारी हैं और यह मामला उनके करीबी संबंधों से जुड़ा हुआ हो सकता है।

श्री राम मंदिर ट्रस्ट की कड़ी प्रतिक्रिया: प्रशासनिक गड़बड़ियों की न्यायिक जांच की मांग

श्री राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य इस पूरे मामले से नाराज हैं और उनके मुताबिक, प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की गई गड़बड़ियों का कड़ा हिसाब लिया जाना चाहिए। ट्रस्ट ने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की है और कहा है कि अगर इस मामले की गहन जांच की जाती है, तो कई अन्य अनियमितताएँ सामने आ सकती हैं। ट्रस्ट के सदस्य मानते हैं कि इस प्रकरण में शामिल अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

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आगे क्या होगा?

अब यह मामला जांच के दायरे में है, लेकिन यह भी संभावना जताई जा रही है कि यह मामला अदालत तक पहुंच सकता है। आने वाले दिनों में प्रशासन और न्यायिक प्रक्रिया के तहत दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।

इस मामले की गहराई से जांच होने पर यह उम्मीद जताई जा रही है कि अन्य अनियमितताएँ भी सामने आ सकती हैं, जो प्रशासनिक जवाबदेही और कानूनी प्रक्रिया के संदर्भ में महत्वपूर्ण हो सकती हैं। श्री राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य और स्थानीय लोग इस मामले की निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

बेमेतरा जमीन घोटाला: बेमेतरा का यह मामला न केवल प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि लोक न्यास अधिनियम और सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के संदर्भ में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। श्री राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों और स्थानीय लोगों की मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इस मामले का कानूनी और प्रशासनिक स्तर पर विस्तार से जांच होने पर यह छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक जवाबदेही का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है।

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