बलौदाबाजार के युवाओं ने बाइक से रचा इतिहास: सोनपुरी मंदिर से केदारनाथ-बद्रीनाथ तक 4400 KM की चारधाम यात्रा पूरी

बलौदाबाजार के युवाओं ने बाइक से रचा इतिहास: सोनपुरी मंदिर से केदारनाथ-बद्रीनाथ तक 4400 KM की चारधाम यात्रा पूरी (Chhattisgarh Talk)
बलौदाबाजार के युवाओं ने बाइक से रचा इतिहास: सोनपुरी मंदिर से केदारनाथ-बद्रीनाथ तक 4400 KM की चारधाम यात्रा पूरी (Chhattisgarh Talk)

बलौदाबाजार के शालीन साहू और हरि पटेल ने 16 दिनों में 4400 किमी की साहसिक बाइक यात्रा पूरी कर केदारनाथ, बद्रीनाथ और गंगोत्री जैसे चारधाम की यात्रा की। युवाओं ने अपने शिविर और भोजन के इंतजाम खुद किए और कठिन पहाड़ी मार्गों को पार कर इतिहास रचा।


बलौदाबाजार: कभी आपने सोचा है कि सिर्फ सपनों के भरोसे कोई 4400 किलोमीटर की कठिन और साहसिक यात्रा पूरी कर सकता है? शायद नहीं। लेकिन बलौदाबाजार नगर के दो युवाओं शालीन साहू और हरि पटेल ने इसे सच कर दिखाया। बलौदाबाजार से निकले दो युवा शालीन साहू और हरि पटेल ने एक ऐसा साहसिक काम कर दिखाया है जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं।

सोनपुरी स्थित श्री सिद्धेश्वर मंदिर से आशीर्वाद लेकर शुरू की गई उनकी बाइक यात्रा आखिरकार 16 दिन बाद उत्तराखंड के पवित्र चारधाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन के साथ पूरी हुई। इस दौरान उन्होंने करीब 4400 किलोमीटर का सफर तय किया, जिसमें पहाड़, बारिश, ठंडी हवाएं और तपती धूप सब शामिल था। लेकिन यह कहानी केवल यात्रा की नहीं है। यह कहानी है साहस, आत्मनिर्भरता और युवाओं की प्रेरणा की।


बलौदाबाजार चारधाम यात्रा की शुरुआत: एक संकल्प, एक आस्था

2 सितम्बर 2025 की सुबह। बलौदाबाजार का सोनपुरी गांव। श्री सिद्धेश्वर मंदिर की घंटियों की गूंज के बीच जब दोनों युवाओं ने अपनी बाइक पर तिरंगा और भगवान शिव का ध्वज बांधा, तो उनके मन में सिर्फ एक ही संकल्प था। “हमारी यह यात्रा केवल देवदर्शन के लिए नहीं, बल्कि अपने आत्मविश्वास और आस्था की परख भी है।”

शालीन साहू ने chhattisgarhtalk.com से कहा,

“जब हम बाइक से यात्रा करते हैं, तो वह केवल सड़क पार करना नहीं होता। हर मोड़, हर घाटी, हर मौसम हमारे भीतर उतर जाता है। यह अनुभव किसी फिल्म देखने जैसा नहीं, बल्कि उसका हिस्सा बनने जैसा होता है।”


बलौदाबाजार चारधाम यात्रा के पड़ाव: छत्तीसगढ़ से उत्तराखंड तक

यात्रा छत्तीसगढ़ के मुंगेली, पंडरिया से शुरू होकर मध्यप्रदेश के शहडोल, कटनी और उत्तरप्रदेश के बड़े-बड़े नगरों से गुजरती रही। दिन में लगभग 400 किलोमीटर की दूरी तय करना आसान नहीं था। सुबह 8 बजे यात्रा शुरू होती, दोपहर तक छोटे-छोटे विश्राम, फिर शाम को किसी सुरक्षित जगह पर तंबू गाड़कर रात बिताना। रास्ते में जहां मिले, वहीँ भोजन पकाना। गैस स्टोव और कुछ बर्तन इनकी बाइक का ही हिस्सा थे। कभी सड़क किनारे ढाबे का स्वाद, तो कभी जंगल के बीच खुद के बनाए भोजन की सादगी — यही इस सफर की असली ताकत थी।


22 किलोमीटर की पैदल यात्रा: केदारनाथ का कठिन मार्ग

सोनप्रयाग पहुंचकर जब बाइक आगे नहीं जा सकती थी, तब असली परीक्षा शुरू हुई। 22 किलोमीटर का दुर्गम पैदल मार्ग, ऊँची चढ़ाई, पत्थरों से भरी पगडंडी और तेज बारिश। लेकिन यही वह क्षण था जब दोनों युवाओं की आस्था ने उन्हें थकान से ऊपर उठाया।

हरि पटेल कहते हैं, “जब-जब कदम डगमगाए, तभी ‘जय भोलेनाथ’ की गूंज ने हमें आगे बढ़ाया। ऐसा लगा मानो रास्ता खुद हमें बुला रहा हो।”


मौसम की परीक्षा: गर्मी, सर्दी और बारिश का संगम

इस यात्रा में मौसम ने भी पूरा रंग दिखाया। कभी तपती धूप, कभी मूसलधार बारिश और कभी बर्फीली ठंडी हवाएँ।

शालीन बताते हैं, चारधाम की यह यात्रा सिर्फ पहाड़ों की कठिनाई नहीं, बल्कि भारत के हर मौसम का अनुभव कराती है। एक ही यात्रा में हमने गर्मी की तपन, बारिश की नमी और सर्दी की कंपकंपाहट महसूस की।


पहले भी कर चुके हैं साहसिक यात्राएँ

ये दोनों युवा पहले भी साहसिक यात्राएँ कर चुके हैं। उत्तरप्रदेश के प्रयाग कुम्भ, महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर और घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, आंध्रप्रदेश के श्रीशैलम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग — सभी जगह इनकी बाइक पहुंच चुकी है। लेकिन इस बार का सफर अलग था। यह यात्रा केवल दूरी की नहीं थी, बल्कि मन और आत्मा की भी परीक्षा थी।


युवाओं के लिए संदेश

शालीन साहू ने युवाओं से अपील की,

“भारत एक तेजस्वी और ओजस्वी देश है। यहाँ की धरती पर यात्रा करना सिर्फ सैर-सपाटा नहीं, बल्कि आत्मानुभूति है। युवाओं को चाहिए कि वे साहसिक यात्राओं की ओर आगे बढ़ें। यह जीवन में नई ऊर्जा और आत्मविश्वास भर देती है।”


क्यों खास है यह यात्रा?

  • बलौदाबाजार जैसे छोटे नगर के युवाओं ने देश के सबसे कठिन धार्मिक मार्ग को बाइक से पार किया।
  • 16 दिनों में 4400 किलोमीटर की दूरी तय करना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।
  • पूरी यात्रा आत्मनिर्भर रही — खाना खुद बनाया, रात में तंबू में ठहरे, और स्वास्थ्य नियमों का पालन किया।
  • यह यात्रा धार्मिक आस्था के साथ-साथ युवाओं के लिए प्रेरणा भी है कि सीमित साधनों में भी बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं।

बलौदाबाजार का गौरव

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह यात्रा पूरे जिले के लिए गर्व का विषय है। सोनपुरी से शुरू हुई यह यात्रा अब पूरे नगर की चर्चा का विषय है। युवाओं के साहस ने साबित कर दिया कि संकल्प मजबूत हो तो कठिन से कठिन राह भी आसान हो जाती है।


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