बलौदा बाजार में पांचवी-आठवीं की पूरक परीक्षा अब तक शुरू नहीं हुई। 5342 छात्रों का भविष्य लटका, शिक्षा विभाग की लापरवाही उजागर हुई।
रायपुर/बलौदाबाजार: “कक्षा वही, बच्चा वही… नई किताबें, पुरानी पीड़ा!’’ बलौदा बाजार जिले में शिक्षा व्यवस्था इस समय खुद ही सवालों के कटघरे में खड़ी है। गर्मी की छुट्टियां खत्म हो चुकी हैं, स्कूल खुल चुके हैं, नया सत्र भी चल रहा है… लेकिन 5342 बच्चों के सपनों की गाड़ी आज भी ‘पूरक परीक्षा’ की पटरी पर खड़ी है, और उसका इंजन चालू करने वाला कोई नहीं।
जिन बच्चों को साल के अंत में उम्मीद थी कि पूरक परीक्षा देकर वे आगे बढ़ जाएंगे, आज वे उसी पुरानी कक्षा की बेंच पर बैठने को मजबूर हैं, मानो वक़्त उनके लिए थम गया हो। और इसकी सबसे बड़ी वजह है—शिक्षा विभाग की लापरवाही, अनदेखी और शिथिलता।
छह महीने पहले जारी हुआ था आदेश, पर कार्रवाई ज़ीरो!
छत्तीसगढ़ शासन के लोक शिक्षण संचालनालय ने 31 जनवरी 2025 को स्पष्ट आदेश दिया था कि कक्षा 5वीं और 8वीं की पूरक परीक्षाएं 1 जून 2025 से शुरू कर दी जाएं। आदेश में यह भी कहा गया था कि –
- पूरक विद्यार्थियों को विषय शिक्षकों द्वारा अतिरिक्त शिक्षण मिलेगा।
- परीक्षा लेकर अगली कक्षा में प्रमोट किया जाएगा, भले ही पूरक में भी वे अनुत्तीर्ण हों।
लेकिन बलौदा बाजार जिले में न तो परीक्षा हुई, न तैयारी दिखी और न ही बच्चों को प्रमोशन मिला। कई स्कूलों में बच्चों को अंकसूची तक नहीं मिली है!
आंकड़े बोलते हैं — लापरवाही का दर्द साफ झलकता है:
कक्षा | परीक्षार्थी | उत्तीर्ण | पूरक |
---|---|---|---|
5वीं | 20,501 | 18,701 | 1,800 |
8वीं | 21,720 | 18,178 | 3,542 |
कुल | 42,221 | 36,879 | 5,342 |
मतलब साफ है — 5,342 बच्चे आज भी उसी कक्षा में अटके हुए हैं। इन सभी बच्चों को आज तक ना पूरक परीक्षा का मौका मिला है, ना अंकसूचियां दी गई हैं और ना अगली कक्षा में प्रमोट किया गया है। उल्टा, पुरानी कक्षा में ही बैठने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे बच्चे मानसिक दबाव में आकर स्कूल से दूरी बना रहे हैं।
बच्चों और पालकों की पीड़ा:
अभिभावक रोष में हैं। कई स्कूलों में विद्यार्थी क्लास अटेंड ही नहीं कर रहे हैं। पढ़ाई से उनका मन उचट गया है। कुछ बच्चे आत्मग्लानि में डूबे हुए हैं, तो कई इस डर से स्कूल छोड़ने की कगार पर हैं।
“बच्चे अब स्कूल नहीं जाना चाहते। उनका कहना है कि जब वे पास नहीं हुए तो क्यों पढ़ें? विभाग को क्या फर्क पड़ता है?” – एक पालक, बेलारी गांव से
स्कूलों में बैठे हैं वही पुराने छात्र, शिक्षक भी परेशान
शिक्षकों का कहना है कि जब तक पूरक परीक्षा नहीं होती, तब तक वे इन बच्चों को अगली कक्षा में नहीं बैठा सकते। लेकिन बच्चे सवाल कर रहे हैं
“जब हम नई किताब ले चुके हैं, नया बैग ला चुके हैं, यूनिफॉर्म बदल ली है, तो पुरानी क्लास में क्यों?”
कुछ छात्र तो अब स्कूल ही छोड़ने लगे हैं। गांवों से लगातार खबरें मिल रही हैं कि बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है।
अंकसूचियां भी नहीं बंटी – बहाना या बहकावा?
विभागीय अधिकारी पूरक परीक्षा ना होने का कारण अंकसूचियों की त्रुटि बता रहे हैं, जबकि अप्रैल में ही मार्कशीट प्रिंट होकर स्कूलों में पहुंच चुकी थीं। दो महीने बीतने के बाद भी अगर मार्कशीट नहीं दी गई, तो यह ‘त्रुटि’ नहीं ‘ढिलाई’ है।
DEO की सफाई – “जून में हो जाएगी परीक्षा”
हिमांशु भारतीय, जिला शिक्षा अधिकारी (DEO), बलौदा बाजार-भाटापारा का कहना है –
“शालाएं अभी प्रारंभ हुई हैं। सभी स्कूल अभी प्रवेश उत्सव में व्यस्त थे। पांचवी और आठवीं की पूरक परीक्षा जून माह में ही आयोजित करा ली जाएगी।”
परंतु अब सवाल यह है कि जून का अंतिम सप्ताह चल रहा है, कब और कैसे होगी परीक्षा? और बच्चों का क्या होगा?
⚠️ पूरक परीक्षा ना होने से क्या होंगे नुकसान?
- बच्चों का एडमिशन देर से होगा,
- मनोबल टूटेगा,
- पढ़ाई में पिछड़ेंगे,
- कुछ बच्चे स्कूल छोड़ देंगे,
- दूसरी शालाओं में सीट फुल हो गई तो एडमिशन नहीं मिलेगा,
- और सबसे बड़ी बात – शिक्षा के अधिकार का हनन होगा।
सवाल उठते हैं…
-
क्या शिक्षा विभाग सिर्फ कागज़ों में आदेश पालन कर रहा है?
-
क्या 5342 बच्चों की उम्मीदें किसी सिस्टम की गलती की बलि चढ़ेंगी?
-
कब तक बच्चों के भविष्य को ऐसे ही नजरअंदाज किया जाएगा?
शिक्षा विभाग का यह रवैया बताता है कि बच्चों का भविष्य, विभाग की प्राथमिकता नहीं है। 5342 बच्चे और उनके अभिभावक बेसब्र इंतज़ार कर रहे हैं उस परीक्षा का, जो समय पर होती तो आज वे गर्व से अगली कक्षा में होते।
अब सवाल सिर्फ परीक्षा का नहीं है, सवाल व्यवस्था की साख का है… क्या भविष्य के सपने यूं ही विभागीय लापरवाही की चक्की में पिसते रहेंगे?
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