पलारी में स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियां: भाजपा महिला मोर्चा के कार्यक्रम ने सिद्धेश्वर मंदिर को बनाया कचरा घर! जनपद CEO ने जिम्मेदारी से झाड़ा पल्ला

पलारी में स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियां: भाजपा महिला मोर्चा के कार्यक्रम ने सिद्धेश्वर मंदिर को बनाया कचरा घर! जनपद CEO ने जिम्मेदारी से झाड़ा पल्ला – “मेरा क्षेत्र नहीं” कहकर किया पल्ला साफ (Chhattisgarh Talk)
पलारी में स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियां: भाजपा महिला मोर्चा के कार्यक्रम ने सिद्धेश्वर मंदिर को बनाया कचरा घर! जनपद CEO ने जिम्मेदारी से झाड़ा पल्ला – “मेरा क्षेत्र नहीं” कहकर किया पल्ला साफ (Chhattisgarh Talk)

बलौदाबाजार जिले के पलारी सिद्धेश्वर मंदिर में भाजपा महिला मोर्चा के तीज मिलन कार्यक्रम के बाद फैली गंदगी, स्वच्छ भारत अभियान पर उठे सवाल।


बलौदाबाजार/पलारी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत अभियान को पलारी नगर पंचायत में तगड़ा झटका लगा है। सिद्धेश्वर मंदिर, जो ‘स्मारक छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित हैं’ पुरातात्विक धरोहर घोषित स्थल है, वहां आयोजित भाजपा महिला मोर्चा के तीज मिलन कार्यक्रम के बाद पूरे मंदिर परिसर में कचरे का अंबार लग गया। जहां प्रधानमंत्री मोदी “हर घर स्वच्छता, हर गली साफ़-सुथरी” का सपना संजो रहे हैं, वहीं सत्ता पक्ष के लोग ही इस अभियान की धज्जियां उड़ाते नज़र आए।

जनपद CEO ने जिम्मेदारी से झाड़ा पल्ला – “मेरा क्षेत्र नहीं” कहकर किया पल्ला साफ

छत्तीसगढ़ टॉक डॉट कॉम ने जब पलारी जनपद CEO से जवाब मांगा तो उन्होंने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा: “मेरा क्षेत्र नहीं है, वो नगर पंचायत का मामला है। उन्होंने ही परमिशन दिया होगा।”

छत्तीसगढ़ टॉक डॉट कॉम ने सीधा सवाल किया: “कल कौन सा कार्यक्रम था और बिहान महिला समूह की महिलाएं क्यों शामिल हुईं?”

इस पर CEO ने जवाब दिया:
“मैं तो वहां गया ही नहीं। सुना था कि भाजपा महिला मोर्चा का तीज मिलन समारोह था। लेकिन बिहान महिला समूह की महिलाएं शामिल नहीं हुईं।”


क्या कार्यक्रम के लिए अनुमति ली गई थी?

सबसे अहम सवाल यही था कि क्या मंदिर परिसर में आयोजन की अनुमति थी?

CEO ने इस पर भी किनारा करते हुए कहा:
“मेरे जानकारी में नहीं है। मैं भी इसलिए वहां नहीं गया था क्योंकि महिलाओं का कार्यक्रम था, मैं जाकर क्या करता?”

गंदगी की जिम्मेदारी किसकी?

जब उनसे मंदिर परिसर में फैली गंदगी और कचरे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा: “वो तो नगर पंचायत का एरिया है। उन्होंने परमिशन दी होगी। उसकी जिम्मेदारी उन्हीं की है। मेरा क्षेत्र नहीं है।”


कैसे फैली गंदगी?

कार्यक्रम के दौरान नाश्ते और जलपान के पैकेट, डिस्पोजल प्लेट, पत्तल, गिलास और प्लास्टिक बोतलें इस्तेमाल हुईं। कार्यक्रम समाप्त होते ही न कोई सफाई व्यवस्था की गई, न ही कचरा उठाने की पहल। सिद्धेश्वर मंदिर परिसर, जो शांत और पवित्र वातावरण के लिए जाना जाता है, कुछ ही घंटों में कचरा घर में तब्दील हो गया।


धरोहर स्थल पर क्यों हुआ आयोजन?

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सिद्धेश्वर मंदिर स्मारक छत्तीसगढ़ राज्य के रूप में संरक्षित है। नियमों के अनुसार यहां किसी भी प्रकार का सार्वजनिक आयोजन प्रतिबंधित है। इसके बावजूद न सिर्फ आयोजन किया गया बल्कि परिसर की पवित्रता और नियमों की खुली अवहेलना भी हुई।


स्थानीय जनता में आक्रोश

स्थानीय नागरिकों ने इसे स्वच्छ भारत अभियान के साथ मज़ाक करार दिया। एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा: “जब सत्ता पक्ष के लोग ही साफ-सफाई के प्रति संवेदनशील नहीं हैं, तो आम जनता से क्या उम्मीद की जा सकती है? मंदिर हमारा आस्था स्थल है, न कि पिकनिक स्पॉट।”

एक निवासी ने कहा:
“जब जिला और जनपद स्तर के अधिकारी ही जिम्मेदारी से बचने लगेंगे तो सफाई कैसे होगी? मंदिर को कचरा घर बना दिया गया।”


प्रशासन की चुप्पी – सवालों के घेरे में जिम्मेदार

इस पूरे घटनाक्रम में नगर पंचायत, जनपद प्रशासन और आयोजनकर्ताओं की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

  • किसने इस कार्यक्रम को मंजूरी दी?

  • सिद्धेश्वर मंदिर, जो स्मारक छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित हैं, उसमें आयोजन की अनुमति क्यों दी गई?

  • गंदगी की सफाई कौन करेगा?

  • क्या इस मामले में किसी पर कार्रवाई होगी?

फिलहाल, प्रशासनिक अमला मौन है और भाजपा महिला मोर्चा की ओर से भी कोई आधिकारिक सफाई सामने नहीं आई है।


स्वच्छ भारत अभियान पर पड़ा सवाल

प्रधानमंत्री मोदी का सपना था कि 2014 से शुरू हुआ यह अभियान 2025 तक जन-आंदोलन बने। लेकिन ऐसे उदाहरण अभियान की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हैं।


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