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Balodabazar News: कूड़ादान बन गए गांव के सरकारी कुएं, अब कैसे बुझेगा लोगो का प्यास?

Balodabazar News: कूड़ादान बन गए गांव के सरकारी कुएं, अब कैसे बुझेगा लोगो का प्यास?
Balodabazar News: कूड़ादान बन गए गांव के सरकारी कुएं, अब कैसे बुझेगा लोगो का प्यास?

Balodabazar News: कूड़ादान बन गए गांव के सरकारी कुएं, अब कैसे बुझेगा लोगो का प्यास?

  • अतिक्रमण का भेट चढ़ चुका मुख्य मार्ग का कुआं
  • गंदगी कूड़ा करकट से भरा हुआ कुआं

बालगोविंद मार्कण्डेय/बलौदाबाजार/रवान: आज से दो दशक पूर्व ग्राम रवान में दो सार्वजनिक सरकारी प्राकृतिक जल स्रोत कुंआ हुआ करता था। जो लोगों का प्यास बुझाने का काम करता था लेकिन आधुनिकता के साथ कुआं की अपेक्षा होने लगा। इससे कुओं का अस्तित्व ही अब खतरे में है। गांव का सरकारी कुआं या तो अतिक्रमण का भेट चढ़ गया है या कूड़ा करकट गंदगी से भर कर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। गांव का सरकारी कुआं कूड़ा करकट से भरकर अपना अस्तित्व खो ने लगा है। देखरेख साफ सफाई के अभाव में कुआं पूरी तरह से अपना अस्तित्व खो चुका है।

आसपास के लोग पूरा करकट कुएं में डाल रहे हैं जिसके कारण कुआं पाटकर समतल हो चुका है। गांव में दो सरकारी कुएं के अलावा अधिकांश घरों में कुएं पाए जाते थे.। जो गर्मी के दिनों मे गांव के लोगों का प्यास बुझती थी साथ ही गांव का वाटर लेवल सामान्य रखने के लिए काम आया करती थी।

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क्या कहते है ग्रामीण?

Balodabazar News: ग्रामीण बताते हैं कि 20 से 30 साल पहले ये सरकारी कुआं ही ग्रामीणों का प्यास बुझाने का मुख्य साधन हुआ करता था । इन कुओं को बाकायदा शासन द्वारा समय-समय पर साफ सफाई, रखरखाव, देखरेख किया जाता था। लेकिन बदलते परिवेश में हैंडपंप और अन्य पेयजल के साधन उपलब्ध होने से धीरे-धीरे सरकारी कुओं की अपेक्षा होने लगी। जिससे गांव में सरकारी कागजों में ही कुएं बचे हुए हैं। ग्राम वासियों से मिली जानकारी के अनुसार दोनों सरकारी कुएं का पानी काफी मीठा हुआ करता था। गांव के आधे से ज्यादा आबादी इन्हीं दोनों कुएं पर आश्रित हुआ करते थे।

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पहले लोग कुओं से अपना प्यास बुझाते थे

Balodabazar News: वर्तमान में यह दोनों कुएं शेष चिन्ह मात्र बचे हुए हैं। गांव में सरकारी स्कूल के पीछे एक कुआं हुआ करता था दूसरा कुआं बलौदा बाजार भाटापारा मुख्य मार्ग से लगा हुआ वर्तमान बस स्टॉप के पास हुआ करता था। मुख्य मार्ग में चलने वाले लोग इन कुओं से अपना प्यास बुझाते थे। परंतु देखरेख के भाव के कारण अब कुए का अस्तित्व ही खत्म हो चुका है। गांव में अभी भी 10 से 15 निजी कुंए बचे हुए हैं जिनका उपयोग अभी भी ग्रामीण करते हैं। कुएं का पानी प्राकृतिक होने के कारण काफी मीठा एवं शीतल हुआ करता था। वर्षों पुराने कुएं आज अपने अस्तित्व बचाने में लगा हुआ हैं।

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सरकारी कुआं ग्रामीण क्षेत्र से खत्म होते जा रहा

Balodabazar News: बताया जाता है कि पुण्य प्राप्ति के लिए ग्रामीणों द्वारा कुंए की खुदवाई करवाई जाती थी। मान्यता थी कि ग्रामीणों द्वारा कुएं का पानी पीने से कुएं खुदवान वाले को पुण्य प्राप्त होता है परंतु अब बिहड़ ग्रामीण एरिया में ही कुआं देखने को मिलता है। देखरेख के अभाव में कुएं का अस्तित्व खत्म हो चुका है। पंचायत प्रतिनिधियों के उदासीनता के कारण सरकारी कुआं ग्रामीण क्षेत्र से खत्म होते जा रहा है।

गौर तलब है कि ग्रामीण क्षेत्र में पानी की कमी ना हो करके शासन द्वारा लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। परंतु उदासीनता के चलते कूंए अपने अस्तित्व बचाने में लगे हुए हैं। जागरूकता के कमी के कारण कुएं के आसपास के लोग कूड़ा करकट कुएं में डाल रहे हैं जिससे कुआं गंदगी से भरा पड़ा हुआ है।

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Balodabazar News: ज्ञात हो कि कुएं के पनघट पर जहां कभी सुबह शाम चहल पहल प रहती थी और गांव की महिलाओं के बीच सुख-दुख की चर्चा भी होती थी लेकिन अब इन कुओं के पनघट पर सन्नाटा पसरा हुआ है। जहां लोग बड़े सम्मान के प्रतिक पनघट पर जाकर कुआं पूजन करते दिखते थे आज वहां कूड़ा करकट का अंबार लगा हुआ है। पूर्व जनप्रतिनिधियों के द्वारा कुएं के सुरक्षा के लिए लोहे का जाली लगवाया गया था परंतु देख रहे क्या भाव में कुएं का जाल गायब हो चुका है और लोग कूड़ा करकट कुएं में डाल रहे हैं।

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