बलौदाबाजार नगर पालिका ने ₹9.50 लाख के साइनबोर्ड टेंडर निकाले, जबकि सभी 21 वार्डों में पहले से बोर्ड मौजूद हैं। ChhattisgarhTalk.com का धमाकेदार खुलासा
बलौदाबाजार | ChhattisgarhTalk.com इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार नगर पालिका परिषद इन दिनों एक भारी विवाद की चपेट में है। वजह है एक ऐसा टेंडर जो पहले से पूर्ण हो चुके कार्य को फिर से बजट में शामिल कर, लाखों रुपये की फिजूलखर्ची का रास्ता खोलता नजर आ रहा है।
ChhattisgarhTalk.com की तहकीकाती पड़ताल में खुलासा हुआ है कि बलौदाबाजार नगर पालिका परिषद द्वारा जुलाई 2025 में “सूचना पट्ट (साइन बोर्ड)” लगाने के लिए ₹9.50 लाख का टेंडर निकाला गया है। हैरानी की बात यह है कि बलौदाबाजार के सभी 21 वार्डों में पहले से ही सूचना पट्ट लगाए जा चुके हैं। यह मामला न केवल जनता के टैक्स के पैसों की बर्बादी का संकेत देता है, बल्कि बलौदाबाजार नगर पालिका की पारदर्शिता और नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
कैसे हुआ खुलासा?
1 जुलाई 2025 को नगर पालिका परिषद बलौदाबाजार द्वारा एक मैनुअल निविदा (Manual Tender) जारी की गई, जिसमें बताया गया कि नगर क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर “सूचना पट्ट” बनाए और लगाए जाने हैं। इसकी अनुमानित लागत ₹9.50 लाख बताई गई।
chhattisgarhtalk.com की टीम ने जब इस टेंडर की घोषणा के बाद बलौदाबाजार नगर के सभी 21 वार्डों का निरीक्षण किया, तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई — हर वार्ड में पहले से ही साइन बोर्ड मौजूद हैं।
नई परिषद, नया अध्यक्ष… और पुराना काम फिर से?
बलौदाबाजार नगर पालिका का चुनाव 15 फरवरी 2025 को संपन्न हुआ था। चुनाव परिणामों में 21 में से 21 वार्डों में नए पार्षद चुने गए और अध्यक्ष पद पर अशोक जैन निर्वाचित हुए। नगर की जनता ने बदलाव और पारदर्शिता की उम्मीद में मतदान किया था।
लेकिन चुनाव के बाद बनी नई परिषद का पहला बड़ा टेंडर ही संदेह के घेरे में आ गया है। जिस कार्य को पहले की परिषद द्वारा कराया जा चुका है, उसी कार्य को फिर से लाखों रुपये में दोहराने की तैयारी की जा रही है।
टेंडर का विवरण क्या कहता है?
- कार्य का नाम: सूचना पट्ट (साइन बोर्ड) बनाना एवं लगाना।
- अनुमानित लागत: ₹9,50,000
- ईएमडी (जमानत राशि): ₹7,500
- निविदा शुल्क: ₹900
- निविदा जमा की अंतिम तिथि: 22 जुलाई 2025
- तकनीकी निविदा खुलने की तिथि: 26 जुलाई 2025
- वित्तीय निविदा खुलने की तिथि: 28 जुलाई 2025
वार्डों में पहले से मौजूद हैं बोर्ड
ChhattisgarhTalk.com की टीम ने बलौदाबाजार नगर के विभिन्न वार्डों का दौरा किया। वार्ड क्रमांक 2, 4, 5, 9, 12, 13, 14, 17, 19 और 20 में जाकर मौके पर देखा गया कि साइन बोर्ड पहले से ही स्थापित हैं। इनमें वार्ड का नाम, वार्ड का नंबर, पार्षद का नाम, क्षेत्र सहित सभी जरूरी जानकारी अंकित है। इन बोर्डों की गुणवत्ता अच्छी है, नया लगा हुआ है, लोहे की फ्रेमिंग, ग्रीन बोर्ड और पेंटिंग अब भी साफ नजर आती है। अधिकांश बोर्ड चुनाव के बाद भी जस के तस खड़े हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल उठता है – जब बोर्ड पहले से मौजूद हैं, तो फिर टेंडर क्यों?
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पार्षद का बड़ा बयान – नाम न छापने की शर्त पर खुलासा
बलौदाबाजार नगर परिषद के एक वर्तमान पार्षद ने नाम न छापने की शर्त पर chhattisgarhtalk.com को बताया:
“हमारे सभी वार्डों में पहले से बोर्ड लगे हैं। कोई नई आवश्यकता नहीं है। सभी वार्डों में सूचना पट्ट पहले ही लगाए जा चुके हैं। इनमें से अधिकांश आज भी ठीक हालत में हैं। ऐसे में दोबारा ₹9.50 लाख का टेंडर निकालना पूरी तरह से संदिग्ध है। असल में एक साइन बोर्ड तैयार करने और लगाने में कुल ₹5000 से ज्यादा खर्च नहीं होता।”
जब एक बोर्ड की लागत महज ₹5000 है, तो 21 वार्डों के लिए अधिकतम ₹1.05 लाख का खर्च बनता है। इसके बावजूद ₹9.50 लाख की निविदा निकाली जाना बड़ा घोटाला होने की आशंका पैदा करता है।
आंकड़ों में छुपा घोटाले का पूरा गणित:
विवरण | आंकड़े |
---|---|
कुल वार्ड | 21 |
एक बोर्ड की लागत | ₹5000 (अनुमानित) |
वास्तविक कुल लागत | ₹1,05,000 |
टेंडर राशि | ₹9,50,000 |
संभावित घोटाला | ₹8,45,000 |
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि कैसे एक छोटे से कार्य को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर नगर परिषद की तिजोरी से जनता का पैसा निकलवाया जा सकता है।
RTI और जांच की मांग तेज
इस खुलासे के बाद शहर में कई सामाजिक कार्यकर्ता और पार्षद इस टेंडर की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं। कई लोगों ने नगर पालिका अध्यक्ष, मुख्य नगरपालिका अधिकारी (CMO) और टेंडर अप्रूव करने वाली समिति की भूमिका पर जांच की मांग की है।
ChhattisgarhTalk की टीम भी इस टेंडर से संबंधित दस्तावेजों, पुराने बोर्डों के भुगतान रजिस्टर, बजट आवंटन और फील्ड सर्वे रिपोर्ट को RTI के माध्यम से मांगने की तैयारी में है।
क्या यह सुनियोजित घोटाले की स्कीम है?
इस पूरी योजना को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि यह एक सुनियोजित योजना के तहत ‘कागजों पर काम’ और ‘भुगतान वास्तविक’ का क्लासिक उदाहरण हो सकता है। पहले से मौजूद बोर्डों को फिर से दिखाकर नई पेमेंट निकालना – ये सीधे तौर पर नगर पालिका की नियत पर सवाल खड़ा करता है।
क्या अध्यक्ष अशोक जैन जवाब देंगे?
15 फरवरी को बनी नई नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष अशोक जैन ने चुनाव के दौरान पारदर्शिता और विकास का वादा किया था। लेकिन नई परिषद का यह पहला बड़ा टेंडर ही विवादों में है। क्या अशोक जैन इस पर सार्वजनिक जवाब देंगे?
बलौदाबाजार का यह मामला दिखाता है कि कैसे छोटे शहरों में भी बड़े बजट घोटाले चुपचाप हो सकते हैं। यह सिर्फ बोर्ड लगाने का मामला नहीं, यह जनता के विश्वास और लोकतंत्र की नींव को हिला देने वाला मुद्दा है।
ChhattisgarhTalk.com मांग करता है कि:
- इस टेंडर की स्वतंत्र जांच कराई जाए
- पुराने बोर्डों की स्थिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए
- दोषी पाए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए
अगर समय रहते ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले समय में ये घोटाले बलौदाबाजार शहर के विकास को लील जाएंगे। जनता को जागरूक रहना होगा, सवाल पूछना होगा और जवाब मांगना होगा।
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