



निष्पक्ष पत्रकारिता: बेमेतरा जिले में पत्रकारिता के संकट पर एक विस्तृत लेख, जिसमें पत्रकारिता के आदर्शों से समझौता, भ्रष्टाचार और साजिशों का पर्दाफाश किया गया है। पढ़ें कैसे कुछ पत्रकार निष्पक्ष पत्रकारिता करने वालों को बदनाम कर रहे हैं।
उमाशंकर दिवाकर, बेमेतरा: छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में पत्रकारिता की स्थिति दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। यहां कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने अपने स्वार्थ और लाभ के लिए पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों से समझौता कर लिया है। उन्होंने पत्रकारिता के आदर्शों को ताक पर रखकर एक ऐसा माहौल तैयार किया है, जिसमें न केवल सच्चाई को दबाया जाता है, बल्कि निष्पक्ष पत्रकारिता करने वालों को बदनाम करने की साजिशें भी रची जाती हैं।
पत्रकारिता की हालत: जब स्वार्थ ने सच्चाई को दबा दिया
बेमेतरा जिले में कुछ कथित वरिष्ठ पत्रकारों का नाम लगातार उस विवाद में आता रहा है, जिसमें वे धान कोचियों को संरक्षण देते थे। यह एक प्रकार का भ्रष्टाचार था, क्योंकि इन पत्रकारों के संरक्षण में अवैध तरीके से धान का व्यापार हो रहा था। ऐसे पत्रकारों ने पहले जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता बनाई और फिर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अवैध कार्यों को जारी रखा। जब इनकी पोल खुली और इनके खिलाफ कार्रवाई की गई, तो इन पत्रकारों ने खुद को बचाने के लिए झूठी कहानियाँ गढ़नी शुरू कर दीं।
बेमेतरा में सत्ता के साथ गठजोड़ की सच्चाई
हाल ही में चारभाठा बाईपास पर 160 कट्टी महामाया धान का अवैध परिवहन करते हुए इन पत्रकारों की पोल फिर से खुल गई। मंडी एक्ट के तहत इस प्रकार का परिवहन अवैध है और इसे पकड़ा गया। इस मामले में इन पत्रकारों ने अपनी गलती को छुपाने के लिए अधिकारियों से साठगांठ करने का प्रयास किया और उनसे हाथ जोड़कर माफी मांगी। लेकिन जैसे ही इनकी स्थिति सुदृढ़ हुई और उन्हें किसी प्रकार की राहत मिली, वे अपना असली रूप दिखाने लगे। उन्होंने अपने दोगलेपन को दर्शाते हुए फिर से अधिकारियों के सामने चापलूसी करना शुरू किया।
पत्रकारिता का दुरुपयोग और सत्ता के साथ गठजोड़
इन पत्रकारों का उद्देश्य केवल खुद के फायदे के लिए पत्रकारिता का दुरुपयोग करना है। सत्ता के गलियारों में इनकी पकड़ मजबूत है और ये बड़े नेताओं, अधिकारियों, और भ्रष्टाचारियों से गठजोड़ करके अपनी स्थिति को स्थिर रखने का प्रयास कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल बेमेतरा बल्कि पूरे प्रदेश के लिए चिंताजनक है। जब पत्रकारिता अपने नैतिक कर्तव्यों से भटककर सत्ता के दबाव में आ जाती है, तो इससे समाज में विश्वास की कमी होती है। ऐसे पत्रकारों द्वारा लिखी गई खबरें सच्चाई से दूर और अपने व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से भरी होती हैं।
बेमेतरा में मीडिया की विश्वसनीयता कैसे हो रही खत्म?
बेमेतरा में जो पत्रकार निष्पक्ष और सच्ची पत्रकारिता करने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें इन भ्रष्ट पत्रकारों द्वारा लगातार बदनाम किया जा रहा है। सच्चाई और निष्पक्षता के प्रति उनके निष्ठा की कीमत उन्हें झूठे मामलों में फंसाकर चुकानी पड़ रही है। ये भ्रष्ट पत्रकार साजिशों के माध्यम से उन लोगों को रास्ते से हटा देना चाहते हैं, जो उनके झूठ और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं।
उनकी पूरी कोशिश यह होती है कि निष्पक्ष पत्रकारिता करने वालों को डराया-धमकाया जाए और उनके खिलाफ षड्यंत्र रचकर उन्हें बर्बाद कर दिया जाए। इन भ्रष्ट पत्रकारों का मकसद केवल अपने फायदे के लिए सत्ता के साथ गठजोड़ करना और जनता से सच्चाई को छिपाना है।
पत्रकारिता के आदर्शों का पतन और दोगलापन
यहां एक बड़ी समस्या यह है कि कुछ पत्रकार, जो अपनी पत्रकारिता के माध्यम से जनता को जागरूक करने का काम कर रहे हैं, उन्हें व्यक्तिगत लाभ के लिए झूठे मामलों में फंसा दिया जाता है। इस प्रकार के पत्रकार अपना आदर्श और नैतिकता छोड़कर केवल सत्ता के इशारे पर चलते हैं। इनका उद्देश्य सिर्फ अपना निजी फायदा होता है, और वे किसी भी कीमत पर उस फायदे को पाने के लिए गलत तरीके अपनाने से भी नहीं चूकते।
जब ये पत्रकार सत्ता और नेताओं के साथ मिलकर काम करते हैं, तो उनका दोगलापन सामने आता है। संख्या बढ़ाने के लिए वे अपने नाम का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन जब फायदा लेने की बात आती है, तो वे बिना झिझक अपने नाम छोड़ देते हैं। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत स्वार्थ की बात नहीं है, बल्कि यह पूरे पत्रकारिता जगत की छवि को धूमिल करने वाली बात है।
सच्चाई का सामना करने वाले पत्रकारों की जंग
यह समय बेमेतरा जिले के उन सभी निष्पक्ष पत्रकारों के लिए एक चुनौती बनकर आया है, जो अपनी कलम और निडरता से सच्चाई को उजागर करने का काम कर रहे हैं। वे न केवल भ्रष्टाचार और साजिशों के खिलाफ खड़े हैं, बल्कि वे पत्रकारिता के सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा भी कर रहे हैं।
जब हम पत्रकारिता की बात करते हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य सत्य को सामने लाना और समाज की सेवा करना होता है। पत्रकारिता के माध्यम से हम सत्ता और भ्रष्टाचार को उजागर कर सकते हैं, लेकिन जब पत्रकारिता केवल चापलूसी और सत्ता के साथ गठजोड़ करने का साधन बन जाती है, तो यह समाज के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है।
बेमेतरा रिपोर्टर उमाशंकर द्वारा लिखी शायरी
लहजे में बदतमीजी और चेहरे पर नकाब लिए फिरते हैं,
जिनके खुद के खाते खराब हैं, वह मेरा हिसाब लिए फिरते हैं।
यह शायरी उन भ्रष्ट पत्रकारों और अधिकारियों पर पूरी तरह से लागू होती है, जो सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए पत्रकारिता और समाज को बदनाम करते हैं।
पत्रकारिता का उद्देश्य और जिम्मेदारी
पत्रकारिता का उद्देश्य समाज में जागरूकता फैलाना और भ्रष्टाचार को उजागर करना होता है। लेकिन जब यह उद्देश्य भटककर निजी स्वार्थ की ओर मुड़ जाता है, तो इसका प्रभाव समाज पर बहुत नकारात्मक पड़ता है। आजकल कई ऐसे पत्रकार हैं, जो सच्चाई और निष्पक्षता से हटकर झूठ और स्वार्थ की ओर बढ़ रहे हैं। इन पत्रकारों का दोगलापन और भ्रष्टाचार से गठजोड़ समाज के लिए खतरे की घंटी है।
सभी पत्रकारों को अपनी भूमिका समझनी चाहिए और उन्हें कभी भी अपने कर्तव्यों से समझौता नहीं करना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि पत्रकारिता का सही उद्देश्य हमेशा समाज की सेवा हो, न कि व्यक्तिगत फायदे के लिए इसका दुरुपयोग।
यह स्थिति सिर्फ बेमेतरा के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए चिंताजनक है। पत्रकारिता को बचाने के लिए हमें एकजुट होकर इस भ्रष्टाचार और दोगलेपन के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी। हमें सच्चाई और निष्पक्षता के पक्ष में खड़ा होना होगा और हर प्रकार की साजिश और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करना होगा। यह पत्रकारिता के अस्तित्व और सम्मान की रक्षा के लिए बेहद आवश्यक है।
यह खबर बेमेतरा रिपोर्टर उमाशंकर द्वारा लिखी गयी हैं, यह लेख लेखक (संवाददाता उमाशंकर दिवाकर) की व्यक्तिगत दृष्टिकोण और सार्वजनिक उपलब्ध जानकारी पर आधारित है। इसमें उल्लिखित किसी भी व्यक्ति, समूह, या संस्था के बारे में किए गए दावे या आरोप सत्यापित नहीं हो सकते हैं और केवल सूचना प्रदान करने के उद्देश्य से हैं। छत्तीसगढ़ टॉक डॉट कॉम किसी की मानहानि करने का इरादा नहीं रखता और यदि किसी को इससे किसी प्रकार की असुविधा होती है, तो खबर लिखने वाले बेमेतरा (संवाददाता उमाशंकर दिवाकर) उसकी जिम्मेदारी हैं।
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