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मनमानी: अवैध उत्खनन अपने चरम पर, आचार संहिता मे भी अवैध मुरुम खनन जारी, जिला प्रशासन और खनिज विभाग सोयी कुम्भकरण की नींद

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मनमानी: अवैध उत्खनन अपने चरम पर, आचार संहिता मे भी अवैध मुरुम खनन जारी, जिला प्रशासन और खनिज विभाग सोयी कुम्भकरण की नींद

शुक्लाभाठा और सोनपुरी गांव से लगे खाली मैदान में हो रही लगातार खुदाई, शिकायतों के बाद भी खनिज विभाग के अधिकारी नही कर रहे कार्यवाही

Chhattisgarh Talk / Baloda Bazar : बलौदाबाजार जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर दूर शुक्लाभाठा और सोनपूरी गांव से लगे खाली मैदान में खुलेआम मुरूम का अवैध उत्खनन का खेल लंबे समय से चल रहा है जिसकी जानकारी अधिकारियों को होने के बावजूद कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं। इन दिनों पूरे जिले में विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लगी हुई है। बावजूद इसके बलौदाबाजार जिले के क्षेत्रों में न केवल अवैध उत्खनन हो रहा है। बल्कि खनिज, मुरूम एवं रेत का अवैध परिवहन भी किया जा रहा है जिसे रोकने का दावा लगातार जिला प्रशासन व खनिज विभाग द्वारा किया जाता रहा है बावजूद इसके अवैध मुरूम उत्खनन के खेल में जुटे लोगों को रोक पाना जिला प्रशासन के बस में दिखाई नहीं दे रहा है।

आचार संहिता मे भी अवैध मुरुम खनन जारी : गुरुवार की रात लगभग 12 बजे बलौदाबाजार जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर शुक्लाभाठा और सोनपूरी गांव से लगे खाली मैदान में खुलेआम मुरूम का अवैध खनन चल रहा है जिसकी जानकारी अधिकारियों को होने के बावजूद कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं। आपको बता दे एक जेसीबी के साथ तीन हाईवा वाहन कल रात लगभग 12 बजे अवैध मुरूम उत्खनन कर परिवहन रहे थे मौके पर Chhattisgarh Talk न्यूज़ के संवाददाता पहुचे मौके पर खनिज अधिकारी कुंदन बंजारे और माइनिंग इंस्पेक्टर भूपेंद्र भक्त को सूचना देने फोन लगाया गया लेकिन जिम्मेदारों द्वारा फ़ोन नही उठाया और ना ही वापिस फ़ोन लगाना उचित समझा

मुरूम खनन में चार गाड़िया थी मौजूद

  •  जेसीबी वाहन पर नही था कोई नम्बर प्लेट

  •  हाईवा नम्बर CG04 JC 8292 जिसका मालिक का नाम जय महाकाली कंट्रक्सन हैं इस गाड़ी की RC 26 मार्च 2019 मतलब 4 वर्ष पहले से समाप्त हो चुकी लेकिन यातायात पुलिस और आरटीओ के नज़र में नही आयी और जिले में धड़ल्ले से गाड़ी दौड़ रही

  • हाईवा नम्बर CG04 JC 2654 जिसका मालिक का नाम AJANU बताया जा रहा इस गाड़ी का ना तो इन्सुरेंस हैं और ना ही पलुसन!

  • हाईवा नम्बर CG22 V 3767 जिसका मालिक विनोद साहू हैं इस गाड़ी में भी ना ही इन्सुरेंस हैं और ना ही पल्यूशन सार्टिफिकेट

अवैध मुरूम उत्खनन की शिकायत:

Chhattisgarh Talk के संवाददाता लगातार इसकी शिकायत और जानकारी खनिज अधिकारी कुंदन कुमार बंजारे और माइनिंग इंस्पेक्टर भूपेन्द्र भक्त को कर रहे, शुक्लाभाठा और सोनपुरी में लगातार अवैध मुरूम उत्खनन और परिवहन की शिकायत की और भी धांधली बताई पर जिम्मेदार अफसरों ने अभी तक कार्रवाई नहीं, निरीक्षण की भी जहमत नहीं उठाई जिम्मेदारों ने!

सूत्र बताते हैं कि- जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से जिले में अवैध उत्खनन जारी है तभी तो शिकायत के बावजूद कुम्भकरन कि नींद सोयी हुई हैं!

खेल में ये किरदार शामिल

पर्यावरण अधिकारी: पर्यावरण अधिकारी न तो सर्वे करते न ही नोटिस जारी करते। पूरे मामले में अगर पर्यावरण विभाग सख्त हो जाए तो सारी धांधलियों पर लगाम कसी जा सकती है।

आरटीओ दस्ता: ओवर लोड गाड़ियों पर कार्रवाई कर सकते हैं। लेकिन वे सख्ती से यह नहीं करते। अगर कभी किया भी तो खानापूर्ति के लिए।

माइनिंग इंस्पेक्टर: खनिज विभाग स्थल निरीक्षण की गलत रिपोर्ट बनाते हैं। उसी के आधार पर अधिकारी ठेकेदार को रायल्टी पर्ची जारी कर देते हैं।

यह दिखवाना पड़ेगा….

मुरुम के अवैध उत्खनन और परिवहन के लिए खनिज अधिकारियों और खनिज अधिकारियों ने मिलकर बीच का रास्ता निकाल लिया है। ऐसा तरीका जिसमें वे मुरुम की जमकर अवैध खुदाई व परिवहन भी करें और उन्हें कोई गलत भी न कह सके। इधर खनिज अधिकारियों की मिलीभगत के कारण अभी तक जो भी शिकायत की गई, किसी में कार्रवाई नहीं की गई। खबर प्रकासन के बाद प्रसासन कार्यवाही करती हैं या मौन साढ़े कुम्भकरण की नींद सोएगी ये देखने वाली बात हैं

 

कागजों में दोनों नियम ठीक पर हकीकत कुछ और

आप मुरुम की खुदाई नहीं कर सकते लेकिन तालाब और निजी जमीन की खुदाई से निकले मुरुम का खनन रॉयल्टी जमा करने के बाद कर सकते हैं। इसके लिए अनुमति की जरूरत नहीं।

इकट्‌ठा किए हुए मुरुम का परिवहन

मुरुम की खुदाई प्रतिबंधित है। जहां-जहां खुदाई हो रही वहां तालाब गहरीकरण या निजी भूमि को खेतीयोग्य बनाने की परमिशन ली गई है। शर्त जोड़ी गई कि निकले मुरुम को बेच नहीं सकते।

निजी भूमि पर खुदाई यह तस्वीर इस बात की गवाही दे रही है खुदाई के बाद सीधे मुरुम का परिवहन किया जा रहा है।

पटवारी/ नायब तहसीलदार : पटवारी की जिम्मेदारी स्थल निरीक्षण कर उसकी रिपोर्ट बनाने की है। ठेकेदार बताते है कि किसी जगह पर मुरुम पड़ा है और पटवारी ऐसे ही रिपोर्ट बना देते हैं। तहसीलदार उनकी रिपोर्ट को सही मानकर प्रमाणित कर देते हैं।

शिकायतों की लगातार अनदेखी

मुरुम की अवैध खुदाई तो अभी भी चल रही है, आपने क्या किया?

हमने स्थलों की जांच की है। जहां गाड़ियां मिली जब्त भी किया है।

कार्रवाई तो ट्रांसपोर्टर के खिलाफ हुई, खुदाई करने वाले पर क्यों नहीं करते?

जहां अवैध खुदाई शिकायत मिलती है, करते हैं। लेकिन वहां भी ऐसे ही कार्रवाई करते हैं।

ताकि ठेका निरस्त करने जैसी कड़ी कार्रवाई न करनी पड़े?

नहीं ऐसी बात नहीं है। जरूरत के हिसाब से कार्रवाई करते हैं।

तालाब गहरीकरण के नाम पर खुदाई हो रही है, इस पर रोक क्यों नहीं?

तालाब की खुदाई के मामले में हमारी ज्यादा भूमिका नहीं है। यह तो ग्राम पंचायत को देखना चाहिए।

अवैध खुदाई कर परिवहन किया जा रहा है, रोकते क्यों नहीं?

रोकते तो हैं। लगातार कार्रवाई चल रही है। कई जगह की अवैध खुदाई बंद हुई है।

लेकिन आप तो बताए गए मुरुम की मात्रा के हिसाब से रायल्टी जारी करने की बजाय कम मात्रा की कर देते हैं, ठेकेदार पूरा मुरुम उठा लेता है, ऐसे में आप शासन को चुना नहीं लगा रहे हैं?

देखिए जितना खनिज होता है उतने की ही रायल्टी पर्ची जारी करते हैं। लेकिन कोई कम खनिज परिवहन करना चाहता है तो हम कम की भी रायल्टी जारी करते हैं।

फिर तो मुरुम बचना भी चाहिए। किसी भी जगह में मुरुम नहीं बचा है, कहां गया, जांच क्यों नहीं करवाते?

 

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