



आंधी के बाद छत्तीसगढ़ की बिजली व्यवस्था ध्वस्त। 1912 हेल्पलाइन फेल, ग्रामीणों में आक्रोश, लाइनमैन नशे में, JE पर कार्रवाई की मांग।
बलौदाबाजार | गुरुवार शाम जब आंधी-बारिश ने छत्तीसगढ़ प्रदेश को तपती गर्मी से राहत दी, उसी पल बिजली विभाग की ‘स्मार्ट व्यवस्था’ का पर्दाफाश हो गया। छत्तीसगढ़ का एक बड़ा हिस्सा बिजली गुल के अंधेरे में डूब गया और पूरा सिस्टम खुद को संभाल नहीं सका। तार टूटे, ट्रांसफार्मर फुंके, डीओ उड़े, ज़म्फर उखड़े—लेकिन सबसे बड़ी ‘बिजली’ सिस्टम की जवाबदेही पर गिरी, जो आपदा में मदद के नाम पर सिर्फ ‘कागजों’ में चमकता है।
1912 हेल्पलाइन फेल, 1912 बना मजाक, कॉलर बना भिखारी
बिजली कटते ही लोगों ने सरकारी हेल्पलाइन नंबर 1912 पर कॉल करना शुरू किया, लेकिन वहां राहत की बजाय मिला व्यस्त टोन, स्विच ऑफ संदेश और अनुत्तरदायी सिस्टम। कई उपभोक्ताओं ने कहा—
“हम आधी रात तक कॉल करते रहे, कभी नंबर मिला ही नहीं, कभी घंटों तक व्यस्त रहा। अगर इमरजेंसी में नंबर ही जवाब न दे तो इसका क्या मतलब?”
1912 हेल्पलाइन फेल; ग्रामीण इलाकों में जैसे बत्ती के साथ प्रशासन भी ‘गायब’
राजधानी रायपुर से लेकर बलौदाबाजार, सिमगा, पलारी, कसडोल जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली विभाग का कोई अधिकारी या जिम्मेदार नजर नहीं आया। कई गांवों में तो ग्रामीणों के पास जेई और लाइनमैन के नंबर तक नहीं थे। और जिनके पास थे, वे या तो फोन उठाते नहीं या घंटों बाद कह देते “देखते हैं”।
1912 हेल्पलाइन फेल; लाइनमैन शराब में धुत—’काम नहीं करेंगे, जो करना हो कर लो’
सबसे शर्मनाक स्थिति तब सामने आई जब ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि लाइनमैन नशे में काम पर पहुंचे। कई जगहों पर उन्होंने बदतमीजी की, गालियां दीं और लोगों से कह दिया—
“काम नहीं करेंगे, जो करना है कर लो।”
ऐसे ही वाक्य सुनकर ग्रामीण दंग रह गए। एक ग्रामीण ने कहा—
“हम तो सोच रहे थे कि बारिश में बिजली बहाल करना जोखिम भरा है, लेकिन यहां तो जिम्मेदारी नाम की कोई चीज ही नहीं है।”
अंधेरे में डूबे गांव: न पंखा, न पानी, न चार्जर—संकट में फंसे मरीज और छात्र
आंधी के बाद पूरी रात गांवों में अंधेरा पसरा रहा। जल आपूर्ति ठप रही, मोबाइल चार्ज नहीं हो सके, मरीज गर्मी में तड़पते रहे और छात्र परीक्षा की तैयारी छोड़ बत्ती का इंतजार करते रहे। न कोई सूचना, न कोई अफसर, न कोई संवेदना!
जनता फूटी—’JE और लाइनमैन को हटाओ’, सिस्टम सुधारो
ग्रामीणों और आम नागरिकों ने बलौदाबाजार ग्रामीण क्षेत्र के जूनियर इंजीनियर (JE) और संबंधित लाइनमैन को हटाने की मांग की है। साथ ही 1912 टोल फ्री नंबर को तकनीकी रूप से सशक्त और जवाबदेह बनाने की बात कही है।
यह सिर्फ बिजली का फॉल्ट नहीं, सिस्टम का शॉर्ट सर्किट है
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया है कि राज्य की बिजली व्यवस्था एक छोटे से संकट में पूरी तरह फेल हो सकती है। जवाबदेही का ढांचा या तो जंग खा चुका है या जानबूझकर कमजोर रखा गया है। यह सिर्फ तार टूटने की बात नहीं, यह उस भरोसे के टूटने की कहानी है जिसे जनता ने सिस्टम पर किया था।
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