बलौदाबाजार के अंबुजा-अडानी सीमेंट प्लांट में बड़ा हादसा। कैंसिंग मशीन की क्वायल की चपेट में आने से एक मजदूर की मौत। सुरक्षा मानकों पर उठे सवाल
रायपुर/सागर साहू: बलौदाबाजार जिले मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर रवान गांव स्थित अंबुजा-अडानी सीमेंट प्लांट में सोमवार की रात एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने पूरे संयंत्र को झकझोर दिया। PH बॉयलर सेक्शन में कैंसिंग मशीन से जुड़े क्वायल की चपेट में आने से मजदूर बिपिन कुमार (पिता – सूर्यपति सिंह, निवासी पतपुरा, जिला रोहतास, बिहार) की मौके पर ही मौत हो गई। हादसा रात करीब 7:30 बजे का बताया जा रहा है। घटना के बाद प्लांट परिसर में अफरा-तफरी मच गई और मजदूरों में गुस्सा फूट पड़ा।
जानकारी के अनुसार, मृतक बिपिन कुमार “टिकेस” नामक ठेका फर्म के अधीन कार्यरत था। रोज की तरह वह सोमवार शाम ड्यूटी पर मौजूद था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, मशीन चालू थी तभी अचानक भारी-भरकम क्वायल अनियंत्रित होकर गिर पड़ा। लोहे का यह रोल सीधे बिपिन पर जा गिरा, जिससे वह बुरी तरह दब गया। सहकर्मियों ने तुरंत दौड़कर उसे बाहर निकाला और संयंत्र प्रबंधन को सूचना दी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
अंबुजा अडानी सीमेंट प्लांट: हादसे के बाद संयंत्र में मचा हड़कंप
जैसे ही हादसे की खबर फैली, प्लांट परिसर में काम कर रहे मजदूरों में आक्रोश फैल गया। कई श्रमिकों ने सुरक्षा मानकों की कमी को लेकर प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठाए। उनका कहना था कि यहां मशीनों की नियमित जांच नहीं की जाती और सुरक्षा उपकरणों की भारी कमी रहती है। मजदूरों ने मृतक के परिजनों के लिए उचित मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की है।
साइट पर मौजूद मजदूर राकेश कुमार पटेल (मध्यप्रदेश निवासी) ने छत्तीसगढ़ टॉक को बताया,
“हम सब रोज इसी जगह काम करते हैं। क्वायल का सेफ्टी क्लैम्प पहले से कमजोर था। कई बार सुपरवाइजर को बताया गया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। आज उसी लापरवाही ने एक साथी की जान ले ली। बिपिन हम सबके साथ काम करता था, बहुत मेहनती लड़का था।”
अंबुजा अडानी सीमेंट प्लांट: परिजनों में मातम, साथी मजदूरों में गुस्सा
मृतक के साले भूपेंद्र कुमार ने अस्पताल में भावुक होकर कहा,
“जाने वाला तो चला गया, लेकिन उसके दो छोटे बच्चे हैं। जीजा बहुत मेहनती था। कंपनी को मुआवजा और नौकरी दोनों देनी चाहिए। कल तक साथ काम किया, हंसते-बोलते लौटे थे, आज सिर्फ बॉडी बची है।”
भूपेंद्र की बात सुनकर अस्पताल में मौजूद साथी मजदूर भी गमगीन हो गए। उनका कहना था कि अगर कंपनी सुरक्षा उपकरणों और निगरानी पर ध्यान देती, तो यह हादसा नहीं होता।
डॉक्टर ने पुष्टि की – अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो चुकी थी मौत
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अशोक वर्मा ने बताया,
“जब शव अस्पताल लाया गया, तब तक मृत अवस्था में था। पंचनामा और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की सटीक वजह स्पष्ट होगी, हालांकि प्रारंभिक तौर पर क्वायल के दबाव में आने से मृत्यु होना प्रतीत होता है।”
मजदूरों ने की कड़ी कार्रवाई की मांग
घटना की जानकारी मिलते ही कोतवाली पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और पंचनामा की कार्रवाई शुरू की। बताया जा रहा है कि मृतक बिपिन कुमार की बॉडी को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा जाएगा।
इस बीच संयंत्र परिसर में काम करने वाले मजदूरों ने कार्यस्थल की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर प्रबंधन जल्द सुरक्षा मानकों में सुधार नहीं करता, तो वे विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। मजदूर संगठन के एक पदाधिकारी ने कहा,
“हर महीने सैकड़ों मजदूर इस प्लांट में काम करते हैं, लेकिन सेफ्टी के नाम पर सिर्फ दिखावा है। हेलमेट और बेल्ट दिए जाते हैं, लेकिन मशीनें कब मेंटेनेंस पर जाएंगी, किसी को नहीं पता। हम प्रशासन से जांच की मांग करते हैं।”
हादसे से उठे गंभीर सवाल
यह हादसा कई गंभीर सवाल छोड़ गया है—
- क्या सीमेंट संयंत्र में सुरक्षा मानक कागजों तक सीमित हैं?
- ठेका फर्मों के अधीन काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेता है?
- क्या काम शुरू करने से पहले मशीनों की जांच होती है या सिर्फ दिखावे की रिपोर्ट तैयार की जाती है?
स्थानीय श्रमिकों ने आरोप लगाया है कि हर महीने किसी न किसी सेक्शन में छोटे हादसे होते रहते हैं, परंतु अधिकांश मामलों को दबा दिया जाता है। इस बार मामला गंभीर है, इसलिए सभी की नजरें पुलिस जांच और प्रशासन की कार्रवाई पर हैं।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
कोतवाली थाना प्रभारी ने बताया,
“घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस पहुंची। मृतक का पंचनामा किया गया है और मर्ग कायम कर लिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।”
स्थानीय लोगों में आक्रोश
रवान और आसपास के गांवों के लोग भी इस हादसे से आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि अडानी-अंबुजा जैसे बड़े उद्योगों में अगर मजदूर सुरक्षित नहीं हैं, तो छोटे ठेकों में काम करने वालों का क्या होगा। कई ग्रामीणों ने कहा कि प्लांट के अंदर आए दिन हादसे होते हैं, लेकिन बाहर इसकी चर्चा तक नहीं होने दी जाती।
एक स्थानीय नागरिक महेश कुमार साहू ने कहा,
“हमारे गांव के कई युवक इसी प्लांट में काम करते हैं। हर परिवार डरा हुआ है कि अगला नंबर किसका होगा। सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ मजदूर की नहीं, कंपनी की भी है।”
पत्रकार की ग्राउंड रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ टॉक डॉट कॉम के संवाददाता ने जब मौके पर पहुंचकर जानकारी ली, तो पाया कि हादसे वाले सेक्शन में कोई सुरक्षा चेतावनी बोर्ड या साइनल अलार्म सिस्टम नहीं था। मजदूरों ने बताया कि मशीनें पुराने मॉडल की हैं और कई बार ओवरलोडिंग के कारण अनियंत्रित हो जाती हैं।
सवाल जो जवाब मांगते हैं
- क्या अंबुजा-अडानी जैसी बड़ी कंपनी सुरक्षा नियमों को गंभीरता से नहीं ले रही?
- क्या ठेका श्रमिकों की जान इतनी सस्ती है कि हर हादसे को सिर्फ “दुर्भाग्य” कहकर टाल दिया जाए?
- क्या जिला प्रशासन अब कठोर कार्रवाई करेगा या मामला फिर “जांच जारी है” कहकर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
रवान गांव के इस हादसे ने एक बार फिर औद्योगिक सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। हर महीने किसी न किसी संयंत्र में मजदूरों की जान जाती है, लेकिन सख्त निगरानी और जवाबदेही की कमी के कारण हालात जस के तस बने हुए हैं। बिपिन कुमार की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि उन हजारों ठेका मजदूरों की कहानी है जो रोज अपनी जान जोखिम में डालकर उद्योगों का पहिया घुमा रहे हैं। सवाल यही है कि क्या उनकी सुरक्षा के लिए कोई गंभीर है, या फिर अगली रिपोर्ट भी किसी और “बिपिन” के नाम से लिखी जाएगी।
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