3 महीने तक बंधक बनाकर नाबालिग से दुष्कर्म.. विशेष न्यायाधीश ने सुनाई 20 साल की सजा, पिता की सूझबूझ से हुआ खुलासा
बलौदाबाजार जिले के पलारी थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां आरोपी युवक ने नाबालिग लड़की को शादी का झांसा देकर तीन महीने तक बंधक बनाकर रखा और लगातार उसका शारीरिक शोषण किया। अदालत ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए आरोपी जॉन मिल्टन रात्रे पिता नरेंद्र रात्रे, निवासी ग्राम छेरकापुर को दोषी पाते हुए 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर अर्थदंड भी लगाया गया है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) बलौदाबाजार, श्रीमान गिर्जेश प्रताप सिंह की अदालत ने 11 नवंबर 2025 को सुनाया।
कैसे हुआ पूरा मामला उजागर
मामला नवंबर 2024 का है। पिड़िता के पिता ने बताया कि उनकी नाबालिग बेटी को गांव के ही जॉन मिल्टन रात्रे ने बहला-फुसलाकर शादी का झांसा दिया और अपने साथ ग्राम छेरकापुर ले गया। वहां आरोपी ने उसे लगातार तीन महीने तक बंधक बनाकर रखा और बार-बार उसके साथ दुष्कर्म किया। परिवार ने जब बेटी को ढूंढना शुरू किया, तो पता चला कि वह आरोपी के घर में ही है। पिता ने हिम्मत दिखाते हुए बालक कल्याण समिति बलौदाबाजार में लिखित शिकायत की। शिकायत के बाद जिला बाल संरक्षण इकाई और थाना पलारी की संयुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए पिड़िता को आरोपी के घर से रेस्क्यू किया।
पिड़िता का बयान बना सबूत
रेस्क्यू के बाद पिड़िता ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि आरोपी उसे 09 नवंबर 2024 से 07 जनवरी 2025 तक अपने घर में रखे रहा। इस दौरान उसने शादी का प्रलोभन देकर बार-बार शारीरिक संबंध बनाए। मामले को समाजिक स्तर पर सुलझाने की भी कोशिश की गई। आरोपी के पिता ने गांव के लोगों के सामने शादी का आश्वासन दिया था। लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने अपना वादा तोड़ दिया और शादी से इंकार कर दिया। जब न्याय की उम्मीद समाज से खत्म हो गई, तब पिड़िता के पिता ने 14 जनवरी 2025 को थाना पलारी में औपचारिक रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसके बाद पलारी पुलिस ने तत्काल कार्यवाही करते मामले को संज्ञान में लेकर 15 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस की कार्रवाई और मामला अदालत पहुंचा
थाना पलारी पुलिस ने आरोपी के खिलाफ गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज किया कि, धारा 137(2), 87, 64(2)(M) BNS तथा धारा 4(2), 5(ठ), 6 लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) के तहत केस दर्ज किया गया। पुलिस ने आरोपी जॉन मिल्टन रात्रे को गिरफ्तार किया और न्यायिक रिमांड पर भेज दिया। विवेचना पूरी होने के बाद अभियोग पत्र (चार्जशीट) विशेष न्यायालय पॉक्सो बलौदाबाजार में प्रस्तुत किया गया।
अभियोजन पक्ष ने पेश किए पुख्ता साक्ष्य
अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक निशा शर्मा ने मामले की पैरवी की। उन्होंने अदालत में 10 साक्षियों के बयान कराए। पिड़िता, उसके पिता, पुलिस अधिकारी, बाल कल्याण समिति के सदस्य और डॉक्टर के बयान ने यह साबित कर दिया कि आरोपी ने नाबालिग को बहला-फुसलाकर अपने घर में रखा और उससे जबरन दुष्कर्म किया। अदालत में अभियोजन ने यह भी बताया कि घटना के समय पिड़िता नाबालिग थी, जिसे आरोपी ने मानसिक और शारीरिक रूप से शोषित किया।
बचाव पक्ष के तर्क और अदालत का रुख
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यह मामला आपसी सहमति का है और आरोपी को झूठा फंसाया गया है। लेकिन अदालत ने इन तर्कों को अस्वीकार कर दिया।बविशेष न्यायाधीश गिर्जेश प्रताप सिंह ने कहा कि “पिड़िता के बयान विश्वसनीय और सुसंगत हैं। उसके बयान को स्वतंत्र साक्षियों और मेडिकल रिपोर्ट ने भी पुष्ट किया है। आरोपी ने समाज में न केवल कानून का उल्लंघन किया, बल्कि एक नाबालिग की अस्मिता और भविष्य को भी रौंदा है।”
अदालत ने सुनाया सख्त फैसला
अंतिम सुनवाई के बाद अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
साथ ही अर्थदंड की राशि जमा नहीं करने पर अतिरिक्त कारावास का आदेश भी दिया गया।
विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि विशेष न्यायाधीश ने टिप्पणी की,“ऐसे अपराधों में समाज के प्रति सख्त संदेश देना जरूरी है। जो लोग नाबालिग बच्चियों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं, उन्हें कड़ी सजा दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में कोई ऐसा अपराध करने की हिम्मत न करे।”
विशेष लोक अभियोजक निशा शर्मा का बयान
ETV भारत से बात करते हुए विशेष लोक अभियोजक निशा शर्मा ने बताया कि,“यह मामला बेहद संवेदनशील था। शुरुआत से ही अभियोजन का मकसद था कि पीड़िता को न्याय मिले और आरोपी को उसकी करतूत की सजा। अदालत ने हमारे सभी साक्ष्यों को सही माना और 20 साल की सजा दी है। यह फैसला बालिकाओं की सुरक्षा के लिए एक मजबूत संदेश है।”
पिता की सूझबूझ बनी बेटी की ढाल
अगर पीड़िता के पिता ने बालक कल्याण समिति में समय पर शिकायत नहीं की होती, तो शायद आरोपी लंबे समय तक लड़की को बंधक बनाए रखता। पिता की जागरूकता और जिला बाल संरक्षण इकाई की तत्परता के कारण यह मामला जल्द सामने आया। संयुक्त टीम की कार्रवाई से यह भी साफ होता है कि बाल संरक्षण तंत्र सही दिशा में काम कर रहा है और पीड़ित परिवारों को अब न्याय की उम्मीद मिल रही है।
बलौदाबाजार में पॉक्सो मामलों में यह सजा बनी मिसाल
बलौदाबाजार जिले में पिछले कुछ सालों में पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों में यह फैसला सबसे सख्त सजा मानी जा रही है। 20 साल की सजा ने यह संदेश दिया है कि नाबालिगों के साथ किसी भी तरह का लैंगिक अपराध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस विभाग ने भी अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि भविष्य में ऐसे मामलों में तेज कार्रवाई की जाएगी ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय जल्द मिल सके।
समाज के लिए सबक
यह मामला केवल एक अपराध की कहानी नहीं, बल्कि चेतावनी है कि बहला-फुसलाकर शादी या प्यार का झांसा देकर किए गए अपराध भी गंभीर हैं। पॉक्सो कानून के तहत किसी भी नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध अपराध माना जाता है, चाहे उसकी सहमति क्यों न हो। यह फैसला बताता है कि अदालतें अब ऐसे अपराधों पर कोई नरमी नहीं दिखा रहीं। पीड़िता के साहस और उसके पिता की सतर्कता ने यह साबित कर दिया कि अगर परिवार और समाज मिलकर खड़े हों, तो न्याय पाना नामुमकिन नहीं है।
पॉइंट ऑफ यू..!!
आरोपी: जॉन मिल्टन रात्रे, ग्राम छेरकापुर
थाना: पलारी, जिला बलौदाबाजार
पीड़िता: नाबालिग लड़की
अपराध अवधि: 9 नवंबर 2024 से 7 जनवरी 2025
धारा: 137(2), 87, 64(2)(M) BNS व 4(2), 5(ठ), 6 POCSO Act
फैसला: 20 वर्ष कठोर कारावास व अर्थदंड
न्यायालय: विशेष न्यायाधीश पॉक्सो बलौदाबाजार
अभियोजन पक्ष: विशेष लोक अभियोजक निशा शर्मा
बाईट- विशेष लोक अभियोजक निशा शर्मा, जिला सत्र न्यायालय बलौदाबाजार




















