अल्ट्राटेक रावन सीएसआर ने महिलाओं व बालिकाओं के लिए पैंट-शर्ट व स्कूल यूनिफार्म सिलाई प्रशिक्षण शुरू किया, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
बलौदाबाजार: गांव की गलियों में अक्सर बर्तनों की खटर-पटर, बच्चों की खिलखिलाहट और बैलों की घंटियों की आवाज सुनाई देती है। लेकिन अब इन आवाज़ों के बीच एक नई धुन भी जुड़ गई है – सिलाई मशीन की घर्र-घर्र। यह आवाज़ सिर्फ कपड़े सिलने की नहीं, बल्कि महिलाओं के सपनों को आकार देने की है। अल्ट्राटेक रावन संयंत्र के सीएसआर विभाग ने ग्रामीण महिलाओं और बालिकाओं के लिए सिलाई प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया है। इसका मकसद है – महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और घर की चौखट से बाहर उनके हुनर को पहचान दिलाना।
सीख रही हैं हुनर की बारीकियां
रावन स्थित प्रशिक्षण केंद्र में महिलाएं उत्साह से भरी दिखाई देती हैं। एक को प्रशिक्षक कपड़े की कटिंग के नाप समझा रहे हैं, तो दूसरी मशीन पर सिलाई की सीधी लाइन बनाने की प्रैक्टिस कर रही है। कोई पैटर्न डिजाइन सीख रही है तो कोई फिनिशिंग के नए तरीके। अल्ट्राटेक सीमेंट संयंत्र प्रमुख राजेश कुमार और मानव संसाधन प्रमुख करन मिस्त्री के मार्गदर्शन में यह प्रशिक्षण इस तरह डिजाइन किया गया है कि महिलाएं सिर्फ सिलाई न सीखें, बल्कि इसे रोजगार का साधन बना सकें।
बदलेंगे घर-परिवार के हालात
प्रशिक्षण पूरा करने के बाद महिलाएं स्कूल यूनिफॉर्म, पैंट और शर्ट स्थानीय स्तर पर तैयार कर पाएंगी। यानि अब गांव के बच्चे अपनी स्कूल ड्रेस अपने ही गांव की “दीदी” या “मौसी” से सिलवा सकेंगे। इससे न सिर्फ महिलाओं को कमाई का जरिया मिलेगा, बल्कि गांव की अर्थव्यवस्था में भी नई हलचल होगी।
आधुनिक मशीनें और दो बैच
केंद्र में आधुनिक सिलाई मशीनें लगाई गई हैं। जूनियर और सीनियर के दो बैच बनाए गए हैं ताकि नई सीखने वाली बालिकाएं और पहले से सिलाई जानने वाली महिलाएं दोनों अपनी-अपनी जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण ले सकें।
आत्मनिर्भरता की ओर कदम
अभी तक घर के कामकाज और खेतों में ही सीमित रहने वाली महिलाएं जब अब हाथ में कैंची, धागा और मशीन पकड़ती हैं तो उनकी आंखों में नई चमक दिखाई देती है। वे जानती हैं कि यह प्रशिक्षण उनके लिए सिर्फ हुनर नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर कदम है।
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अल्ट्राटेक रावन सीएसआर का विज़न
अल्ट्राटेक रावन सीएसआर लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और युवाओं के लिए सतत आजीविका विकास की दिशा में काम कर रहा है। उनका मानना है कि यदि महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होंगी, तो पूरा समाज आगे बढ़ेगा।
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