अरुण पुरेना, बेमेतरा। जिले के राजस्व प्रशासन की उदासीनता सामने आई है। ग्रामीण अंचलों के हल्कों में पदस्थ पटवारी न तो अपने हल्का मुख्यालय में मौजूद रहते हैं और न ही सरकारी परिसर से काम करते हैं। थानखम्हरिया क्षेत्र इसका जीवंत उदाहरण बनकर उभरा है, जहाँ पटवारी हल्का नम्बर 6, 9, 19, 8 व 11 का संचालन गैर-सरकारी परिसर से हो रहा है।
पटवारी कार्यालय किराए के भवन में, ग्रामीण हो रहे परेशान
थानखम्हरिया के गौरव पथ रोड स्थित एक किराए के निजी भवन में यह तथाकथित ‘पटवारी कार्यालय’ चल रहा है। यहाँ रोजाना दूर-दराज से ग्रामीण 10 से 15 किलोमीटर दूर के गांवों से आते हैं। अपने राजस्व संबंधी कार्यों के लिए भटकते हैं। हालात यह हैं कि सरकारी कर्मचारी तो मुश्किल से नजर आते हैं, लेकिन गैर शासकीय व्यक्ति खुलेआम दस्तावेज़ों का संधारण और ऑनलाइन काम करते दिखते हैं।
नियमों की खुलेआम धज्जियाँ
राजस्व विभाग के स्पष्ट नियमों के अनुसार किसी भी सरकारी कार्य को निजी या गैर-शासकीय व्यक्ति द्वारा किए जाने की अनुमति नहीं है। बावजूद इसके, यहाँ पटवारी आम जनता का कार्य निजी हांथो से करवाया जा रहा है। इससे न केवल दस्तावेज़ों की गोपनीयता पर सवाल उठता है बल्कि भ्रष्टाचार की आशंका भी गहराती है।
जनता का सीधा सवाल – आखिर कब सुधरेगा सिस्टम?
ग्रामीणों का सवाल है कि आखिर पटवारी गाँव जाकर कार्य क्यों नहीं करते? क्यों पूरे गाँव को 10-15 किमी दूर एक किराए के कमरे में लाइन लगानी पड़ती है? क्या यही सुशासन का उदाहरण है?
प्रशासन से की गई मांग
ग्रामीणों की मांग है कि सभी पटवारियों को हल्का मुख्यालय में ही नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। गैर-सरकारी परिसर में संचालित कार्यालयों को तत्काल बंद किया जाए।पटवारी कार्यों में निजी व्यक्तियों की संलिप्तता की जांच की जाए एवं संबंधित पटवारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है – जनता के हित में या पटवारियों की मनमानी के समर्थन में?
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