



छत्तीसगढ़ के सुहेला स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी, पानी की समस्या, शौचालयों की अस्वच्छ स्थिति और शिक्षकों की कमी ने विद्यार्थियों के शैक्षिक जीवन को प्रभावित किया है। प्रशासन से समाधान की उम्मीद।
मिथलेश वर्मा, सुहेला: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में सिमगा ब्लॉक स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल सुहेला में छात्रों और शिक्षकों को बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। यह स्कूल भले ही राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का हिस्सा हो, लेकिन यहां के छात्र और शिक्षक जिन बुनियादी सुविधाओं की उम्मीद करते हैं, वे पूरी नहीं हो पा रही हैं। स्कूल में पानी की कमी, शौचालयों की अस्वच्छ स्थिति, शिक्षकों की भारी कमी, और स्वच्छता के लिए जरूरी कर्मचारियों की कमी ने स्कूल के शैक्षिक माहौल को पूरी तरह से प्रभावित किया है। इस स्थिति से छात्रों का भविष्य खतरे में आ गया है, और शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट देखी जा रही है।
सुहेला स्कूल: शिक्षकों की कमी
सुहेला स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी है, जो सीधे तौर पर छात्रों की पढ़ाई पर असर डाल रही है। खासकर 12वीं कक्षा के छात्र-छात्राएं इस समस्या का सामना कर रहे हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें कई महत्वपूर्ण विषयों जैसे कि केमिस्ट्री और अंग्रेजी में शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं। यह समस्या पिछले दो वर्षों से बनी हुई है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। परिणामस्वरूप, छात्रों के शैक्षिक स्तर में गिरावट आई है, और वे भविष्य के बारे में चिंतित हैं।
इसके अलावा, इस स्कूल में विज्ञान और कला विषयों के लिए भी शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। विद्यार्थियों ने इस स्थिति को गंभीर बताते हुए प्रशासन से तुरंत समाधान की मांग की है। जब छात्रों से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि एक अच्छी शिक्षा के लिए योग्य शिक्षक बेहद आवश्यक हैं, लेकिन उनके स्कूल में शिक्षकों की संख्या बेहद कम है।
सुहेला स्कूल: पानी की गंभीर समस्या
पानी की समस्या ने सुहेला स्कूल के विद्यार्थियों की स्थिति और भी मुश्किल बना दी है। “हर घर जल” योजना का दावा सरकारी दावे के रूप में तो है, लेकिन इस विद्यालय में बच्चों को पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है। छात्रों को अपने पानी की प्यास बुझाने के लिए स्कूल के बाहर जाकर चौक-चौराहों से पानी लाना पड़ता है। गर्मी के मौसम में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है, जब स्कूल का बोरवेल सूख जाता है और पानी की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाती है।
छात्रों का कहना है कि गर्मी के दौरान उन्हें 2 से 3 किलोमीटर दूर तक पानी लाने के लिए जाना पड़ता है। यह न केवल उनकी शारीरिक थकावट का कारण बनता है, बल्कि यह उनकी पढ़ाई को भी प्रभावित करता है। जब उन्हें पानी लाने के लिए इतनी दूर जाना पड़ता है, तो उनकी शिक्षा में ध्यान केंद्रित करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
सुहेला स्कूल: शौचालयों का अभाव और गंदगी का वातावरण
सुहेला सरकारी स्कूल में शौचालयों की स्थिति बहुत खराब है। छात्रों का कहना है कि पानी की कमी के कारण शौचालयों का उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसके कारण उन्हें स्कूल से 2-3 किलोमीटर दूर स्थित तालाब या बांध की ओर जाना पड़ता है। खासकर लड़कियों ने शौचालयों की साफ-सफाई की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उनका कहना है कि स्कूल में गंदगी और बदबू की स्थिति बहुत खराब है, जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
इसके अतिरिक्त, बेंच और टेबल की सफाई भी छात्रों को खुद करनी पड़ती है, क्योंकि स्कूल में स्वच्छता के लिए कोई कर्मचारी नहीं है। विद्यार्थियों का कहना है कि गंदगी और बदबू के कारण उन्हें सिरदर्द और तबीयत खराब होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
प्राचार्य का बयान: समस्या का स्थायी समाधान खोजने की कोशिश
सुहेला स्कूल के प्रभारी प्राचार्य डीके कोसले ने इन समस्याओं को स्वीकार करते हुए कहा कि पानी की कमी हर साल की समस्या बन गई है। उन्होंने बताया कि इस बार दिसंबर से ही पानी की समस्या आरंभ हो गई थी, जबकि पहले यह समस्या मार्च तक रहती थी। उन्होंने बताया कि पीएचई विभाग से कई बार आवेदन करने के बावजूद इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकला है।
शिक्षकों की कमी भी एक पुरानी समस्या है, जो 2017 से लगातार बनी हुई है। खासकर केमिस्ट्री, अंग्रेजी और भूगोल जैसे विषयों में शिक्षक की भारी कमी है। प्राचार्य ने प्रशासन से जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करने की अपील की है ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। -डीके कोसले, प्राचार्य
जिला शिक्षा अधिकारी का बयान: वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार
बलौदा बाजार के जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारती ने कहा कि शिक्षकों की कमी एक सामान्य समस्या है, और वे इसे लेकर संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीएचई विभाग से भी इस समस्या का समाधान निकालने के लिए बातचीत की जा रही है, ताकि जल संकट का हल निकाला जा सके। उनका कहना था कि शिक्षकों की कमी का अस्थायी समाधान कुछ वैकल्पिक व्यवस्था से किया जा रहा है, और जल्द ही नए शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी।
छात्रों की अपील: बुनियादी सुविधाओं का तत्काल समाधान जरूरी
इस स्कूल के छात्रों ने प्रशासन से अपील की है कि उनकी बुनियादी समस्याओं का समाधान तुरंत किया जाए। उनका कहना है कि यदि स्कूल में पानी की सुविधा, स्वच्छता, और पर्याप्त शिक्षकों का इंतजाम हो जाए तो उनकी पढ़ाई में काफी सुधार हो सकता है और वे अपने भविष्य को लेकर ज्यादा आश्वस्त महसूस करेंगे।
छात्रों ने यह भी कहा कि एक शिक्षा संस्थान में सबसे महत्वपूर्ण बुनियादी सुविधाएं होती हैं, और यदि ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं होंगी तो छात्र अपनी पढ़ाई में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे।
शिक्षा का अधिकार और प्रशासन की जिम्मेदारी
यह घटना सरकारी स्कूलों की स्थिति को लेकर एक गंभीर सवाल खड़ा करती है। यदि प्रशासन इन समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं निकालता है तो सुहेला स्कूल जैसे सरकारी स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलना मुश्किल हो जाएगा। सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करें ताकि वे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें। यह समय की मांग है कि इन समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द किया जाए ताकि सुहेला स्कूल के छात्र बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें।
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-छत्तीसगढ़ टॉक न्यूज़ (Chhattisgarh Talk News)
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