



बलौदाबाजार हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने बलौदाबाजार हिंसा मामले में नारायण मिरि को जमानत दे दी है। 10 जून 2024 को हुई हिंसा के बाद मिरि की गिरफ्तारी ने क्षेत्र में तनाव पैदा किया था। पढ़ें, सुप्रीम कोर्ट के फैसले और इस घटनाक्रम की पूरी जानकारी।
बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार (Balodabazar) में 10 जून 2024 को हुई हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ के मामले में गिरफ्तार भाटापारा निवासी नारायण मिरि को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। इस घटनाक्रम ने क्षेत्र में तनाव और चिंता का माहौल पैदा कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मिरि और उनके परिवार को बड़ी राहत प्रदान की है।
बलौदाबाजार 10 जून 2024 की हिंसा: क्या हुआ था?
10 जून 2024 को बलौदा बाजार में एक बड़े प्रदर्शन के बाद हिंसा का दौर शुरू हो गया था। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन पर अपनी मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था, जिसके विरोध में उन्होंने आंदोलन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने संयुक्त जिला कार्यालय में तोड़फोड़ की और एसपी ऑफिस में आगजनी की, जिससे सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान हुआ। आगजनी और तोड़फोड़ के कारण इलाके में तनाव और भय का माहौल बन गया। पुलिस और प्रशासन को स्थिति को नियंत्रित करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा।
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बलौदाबाजार हिंसा के बाद पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया, जिनमें नारायण मिरि भी शामिल थे। मिरि पर आरोप था कि उन्होंने हिंसा भड़काई, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने का कार्य किया।
बलौदाबाजार हिंसा: सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका
नारायण मिरि की गिरफ्तारी के बाद उनके परिवार और समर्थकों ने उनकी जमानत के लिए कानूनी कदम उठाए। भिलाई नगर के विधायक देवेंद्र यादव ने सुप्रीम कोर्ट में मिरि की जमानत के लिए याचिका दायर की। यादव ने याचिका में तर्क दिया कि मिरि के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं और उन्हें बिना उचित आधार के गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने कहा कि मिरि के खिलाफ मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित है और उन्हें जल्द रिहा किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और जमानत
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले की सुनवाई के बाद नारायण मिरि को जमानत देने का फैसला लिया। कोर्ट ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने का आदेश दिया और इस मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी 2025 को तय की। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मिरि और उनके परिवार को राहत मिली है, क्योंकि वे लंबे समय से कानूनी पचड़ों में उलझे हुए थे।
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जमानत के बाद राहत की लहर
नारायण मिरि को जमानत मिलने के बाद उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है। मिरि के परिजनों ने इसे एक बड़ी जीत बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने न्याय प्रदान किया है। उनके परिवार का यह भी कहना था कि उनका नाम जानबूझकर इस हिंसा में फंसाया गया है, और अब उन्हें अपनी बात रखने का उचित अवसर मिलेगा।
प्रशासन ने यह भी कहा था कि इस घटना की पूरी जांच की जाएगी और जो लोग हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें सजा दी जाएगी। पुलिस ने कुछ प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया था और उनसे पूछताछ की जा रही थी।
छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और विपक्ष का रुख
राज्य सरकार और विपक्ष दोनों ने इस मामले में अपने-अपने दृष्टिकोण पेश किए हैं। राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस को सख्त निर्देश दिए थे। वहीं, विपक्षी दलों ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए और इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा था। विपक्ष का आरोप था कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर अत्यधिक सख्ती बरती और उनकी आवाज को दबाने का प्रयास किया।
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बलौदाबाजार हिंसा मामले में आगे क्या होगा?
नारायण मिरि की जमानत मिलने के बावजूद यह मामला पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी 2025 को तय की है, और इस दौरान राज्य सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले में आगे और कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं, जिनका क्षेत्र के नागरिकों और राजनीतिक वातावरण पर गहरा असर पड़ सकता है।
इस घटना ने बलौदा बाजार और उसके आसपास के इलाकों में प्रशासनिक कदमों को लेकर चर्चाओं को जन्म दिया है, और अब सभी की नजरें अगले कानूनी निर्णय पर हैं।
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-छत्तीसगढ़ टॉक न्यूज़ (Chhattisgarh Talk News)
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