



बलौदाबाजार नगर में आचार संहिता का उल्लंघन, बीजेपी शासनकाल के बैनर अभी तक हटाए नहीं गए। नागरिकों ने राज्य निर्वाचन आयोग से निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की अपील की है।
बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ प्रदेश में आगामी नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के मद्देनजर आचार संहिता लागू की गई है, जिसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाना है। आचार संहिता के तहत सभी तरह के राजनीतिक प्रचार-प्रसार, जैसे बैनर, पोस्टर, होर्डिंग्स और दीवारों पर लिखे गए संदेशों को चुनावी तारीखों के नजदीक हटाना या ढकना अनिवार्य होता है। हालांकि, बलौदाबाजार नगर में यह नियम लागू होते हुए नजर नहीं आ रहे हैं, क्योंकि यहां कई स्थानों पर बीजेपी शासनकाल के दौरान लगाए गए राजनीतिक बैनर अब तक हटाए नहीं गए हैं। इससे स्थानीय नागरिकों में असंतोष और आक्रोश व्याप्त है, और उन्होंने इस मुद्दे को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग से कार्रवाई की मांग की है।
आचार संहिता का उल्लंघन: राजनीतिक बैनर हटाने में अधिकारियों की लापरवाही
बलौदाबाजार नगर में बीजेपी शासनकाल के दौरान कई स्थानों पर राजनीतिक बैनर, पोस्टर और होर्डिंग्स लगाए गए थे। इन बैनरों पर पार्टी के झंडे, नेताओं की तस्वीरें और चुनावी संदेश लिखे गए थे, जो अब तक हटाए नहीं गए हैं। जबकि आचार संहिता लागू होने के बाद यह नियम है कि किसी भी प्रकार के राजनीतिक प्रचार को चुनाव के प्रचार अभियान से पहले हटा लिया जाए, ताकि चुनाव में किसी भी पक्ष का पक्षपाती प्रभाव न पड़े।
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आचार संहिता के दौरान यह लापरवाही पालिका के वर्तमान जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों की BJP सरकार के प्रति निकटता को प्रदर्शित करता है। ऐसे अधिकारियों (मुख्य नगर पालिका अधिकारी) से भला निष्पक्ष चुनाव की अपेक्षा लोग कैसे कर सकते हैं? बलौदाबाजार नगर के लोगों की मांग है कि राज्य निर्वाचन आयोग ऐसे संदिग्ध अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित कर निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करे।
नगरवासियों की चिंता: निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
बलौदाबाजार नगर के नागरिकों ने इस मुद्दे पर कड़ा विरोध जताया है और आरोप लगाया है कि नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी इस स्थिति को लेकर लापरवाह हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी बीजेपी सरकार के प्रति पक्षपाती रवैया दिखा रहे हैं, तो ऐसे में वे निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?
“यह न केवल आचार संहिता का उल्लंघन है, बल्कि चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाता है। अगर अधिकारी इस प्रकार के राजनीतिक बैनरों को हटाने में सहयोग नहीं कर रहे हैं, तो इससे चुनावी माहौल प्रभावित हो सकता है,” – यह कहना था बलौदाबाजार के एक नागरिक का
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नागरिकों का यह भी कहना है कि अगर ऐसी लापरवाही नहीं रोकी जाती है, तो यह पूरी चुनावी प्रक्रिया पर संदेह का कारण बनेगी, और बीजेपी या किसी अन्य पार्टी को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा हो सकता है।
राज्य निर्वाचन आयोग से कार्रवाई की मांग
बलौदाबाजार नगर के नागरिकों ने राज्य निर्वाचन आयोग से गुजारिश की है कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से लें और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। उनका कहना है कि राज्य निर्वाचन आयोग को इन संदिग्ध अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित करना चाहिए, ताकि चुनावी माहौल में निष्पक्षता बनी रहे। नागरिकों ने यह भी अपील की है कि नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिए जाएं कि वे जल्द से जल्द सभी राजनीतिक बैनर और पोस्टरों को हटा दें, ताकि चुनाव के दौरान कोई पक्षपाती प्रभाव न पड़े।
“हम राज्य निर्वाचन आयोग से निवेदन करते हैं कि वह मामले में हस्तक्षेप करें और उचित कार्रवाई करें। यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है कि हम निष्पक्ष चुनाव में भाग लें,” – बलौदाबाजार के एक और नागरिक ने कहा
बलौदाबाजार नगर पालिका प्रशासन का क्या कहना है?
बलौदाबाजार नगर निगम प्रशासन और अधिकारियों ने इस मामले पर चुप्पी साधी हुई है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि वे आचार संहिता का पालन करने में पूरी तरह से सक्षम हैं और जल्द ही बचे हुए राजनीतिक बैनरों को हटाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। लेकिन नागरिकों की ओर से आए इन आरोपों पर अधिकारियों ने फिलहाल कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीर है।
बलौदाबाजार नगर पालिका CMO खीरोंद्र भोई से जब सवाल किया गया तो उनका कहना था कि पोस्टर को ढका गया था हो सकता हैं कोई निकाल दिया होगा मेरे जानकारी में नही हैं। आप बता रहे हैं तो मैं कल इसको दिखवाता हूं और कल पुनः ढकवाता हूं।
राज्य निर्वाचन आयोग की भूमिका
अब यह देखना होगा कि राज्य निर्वाचन आयोग इस मुद्दे पर क्या कदम उठाता है। यदि आयोग समय रहते हस्तक्षेप करता है और नगर निगम प्रशासन पर कार्रवाई करता है, तो इससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सकेगी। लेकिन यदि इसे नजरअंदाज किया गया, तो यह नगरवासियों के लिए चिंता का कारण बनेगा, क्योंकि इससे चुनावी माहौल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
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-छत्तीसगढ़ टॉक न्यूज़ (Chhattisgarh Talk News)
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